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अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

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“क्लिनिक”, “क्लिनिकल स्थापना” और “अस्पताल” में अंतर क्या होता है ?

क्या आप जानते है कि, चिकित्सा व्यवसाय को किये जाने के स्थान को कानून ने अलग - अलग नाम क्यों दिए है नर्सिंग एक्ट के तहत “क्लिनिक”, “क्लिनिकल स्थापना” और “अस्पताल” में अंतर क्या होता है ? -------------------------------- “क्लिनिक” से अभिप्रेत है, कोई ऐसा परिसर जिसमें किसी बीमार के इलाज के लिए सुविधाएं उपलब्ध हों और जो उनके प्रवेशन के लिए उपयोग में लाया जाता हो तथा ठहरने के लिए न हो | ----------------------------------- -“क्लिनिकल स्थापना” से अभिप्रेत है, मेडिकल लेबोरेटरी, फिजियोथेरेपी स्थापना अथवा क्लिनिक अथवा अस्पताल अथवा कोई अन्य स्थापना जो इनमें से किसी के भी सदृश्य हो और जिस किसी नाम से जाना जाता हो |   ----------------------------------- “अस्पताल” से अभिप्रेत है, ऐसा कोई परिसर जिसमें बीमारी के इलाज की सुविधाएं हों और जो उनके प्रवेशन या ठहरने के लिए उपयोग में लाया जाता हो

"उपचर्या गृह” से क्या अभिप्रेत है ?

“छत्तीसगढ़ राज्य उपचर्यागृह तथा रोगोपचार संबंधी स्थापनाएं अनुज्ञापन अधिनियम, 2010 में शब्द “ उपचर्या गृह” से क्या अभिप्रेत है ? ----------------------------------- “उपचर्या गृह” से अभिप्रेत है, एक ऐसा स्थान जहां सर्जरी रहित अथवा सर्जरी सहित अथवा प्रसूति कार्य का संचालन बीमारी के उपचार के लिए अंतःरोगी सुविधाओं के साथ मरीजों का उपचार किया जाता हो  तथा  जिसमें अन्य स्त्री रोग संबंधी आपरेशन भी शामिल है जहां महिलाओं को स्टरलाइजेशन, हिस्टिरेक्टॉमी अथवा गर्भ के चिकित्सकीय समापन करने इत्यादि, रात्रिकालीन अंत:रोग सुविधाओं के साथ अथवा के बिना, के प्रयोजन के लिए प्रवेश तथा स्थान दिया जाता हो,   ------------------------------ उपचर्या गृह में कोई अंत: रोगी मेडिकल क्लिनिक, उपचर्यागृह, मेटरनिटी होम, अस्पताल, वृध्दाश्रम और डे- केयर केन्द्र (कोई हस्तक्षेप जहां पर्यवेक्षण और सतत सुरक्षा / निगरानी की आवश्यकता हो) शामिल होंगे।  ----------------------------   https://meradrushtikon.blogspot.com/2020/04/blog-post_42.html

मितानिन और कोटवार निभा रहे है अहम भूमिका

मितानिन और कोटवार निभा रहे है अहम भूमिका   0000000000000000000000 मितानिन बहने बहुत ही बेहतरीन ठंग से ग्रामीण इलाकों में पूर्व से ही गर्भवती महिलाओं के लिए कार्य कर रहीं है और वर्तमान आपातकालीन स्थिति में अपना योगदान दे रहीं है ------------------------------------------- कोटवार का संपर्क उसके कार्यक्षेत्र के जन मानस से पूर्व से ही था अब कोटवार अपने क्षेत्र के लोगों को इस महामारी से बचाने का प्रमुख संवाद माध्यम है ------------------------------------------- मितानिन और कोटवार को मिलने वाली सुविधाएं और प्रोत्साहन राशि भले ही बहुत छोटी होती है लेकिन इनका सामाजिक योगदान महत्वपूर्ण है ००००००००००००००००००० महामारी से युद्ध में मितानिन बहने दे रही है अद्वितीय योगदान  हमारे छत्तीसगढ़ में मितानिन शब्द आपसी तालमेल और एकमत होने का प्रतीक है प्रदेश सरकार ने आम जनता के मध्य एक सामाजिक कार्यकर्ता को सक्रिय करने के लिए एक योजना शुरू की और सक्रिय महिलाओं को मितानिन के नाम से परिभाषित किया उल्लेखनीय है कि मितानिन अपने आस पास के क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्र...

आदिवासी मातृशक्ति संगठन* ने जरूरतमंद लोगो को दिया आवश्यक समान और किया भावनात्मक सहयोग …

🙏🙏 जय सेवा जय जोहार का नारा देकर सभी को घरों में रहने का महत्व बतलाया गया और… महिलाओ ने जन जागृति लाने में सहयोग किया ..   रिसाली के पार्षद चद्रभान सिंह ठाकुर ने ऑनलाइन संदेश भेजकर यह जानकारी दी कि कोरोना वायरस के चलते देश में किए गए लॉकडाउन के कारण जरूरतमंद परिवारों की सहायता के लिए *आदिवासी मातृशक्ति संगठन* ने स्टेशन मरोदा के पार्षद श्री नरेश कोठारी जी एवं श्री लोकूमल जी को चावल सब्जी दाल एवं आर्थिक सहयोग किया है । जिससे स्टेशन मरोदा क्षेत्र के जरूरतमंद लोगो को घरों से बाहर जाने के लिए मजबुर ना होना पड़े । इस तरह का आर्थिक सहयोग देकर स्थानीय जरूरतमंद लोगों को लॉक डाउन के दौरान अपने निवास में रहने के लिए सहयोग किया गया है । पार्षद ने बताया कि उनके रिसाली निगम क्षेत्र में जिन लोगो को लॉक डाउन के कारण भोजन व्यवस्था कराने में मुश्किल हो रही है । उनका हर संभव सहयोग आदिवासी मातृशक्ति संगठन* कर रहा है । आदिवासी मातृशक्ति संगठन* के सदस्यों ने जन जागृति और आवश्यक सामान उपलब्ध कराने के लिए आर्थिक और वैचारिक सहयोग दिया    भिलाई और रिसाली क्षेत्र में सक्रिय "...

क्या आगामी शैक्षणिक सत्र की "स्कुल फी" जमा करवा पाएंगे पालक ?

आर्थिक मंदी के दौर में पालको का क्या होगा ?   कहाँ से और कैसे फीस का पैसा लायेंगे पालक ? वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थ व्यवस्था को चरमरा कर रख दिया है | दुनिया के शक्तिशाली देश कोरोना के सामने निहत्थे नजर आ रहे है | इस भयंकर महामारी से आम और खास जनता के मारे जाने का डर सरकारों सता रहा है और स्थानीय प्रशासन इस बात से घबरा रहा है की आर्थिक मंदी सामना उनका देश कैसे करेगा | दुनिया की सभी शक्तियां अभी घबरायी हुयी है | अख़बार और न्यूज चैनल अभी इन्ही खबरों से भरे पड़ें है | सभी तरफ महामारी और उसके बाद की आर्थिक मंदी की चर्चा है | गरीब हो या आमिर सभी को यह महामारी आतंकित कर रही है | ऐसे में भारत गणराज्य इससे अछुता कैसे रहेगा ? हमारे देश में खाद्यान के भरपूर संसाधन है लेकिन जब हमारा उद्योग जगत आर्थिक मंदी का शिकार होगा तब हमारी शहरी आबादी का क्या होगा ? क्या हमारे शहरी क्षेत्र के लोग स्कुल फ़ीस भर पाएंगे ? आपके विचार क्या है ... आप इस चुनौती का सामना कैसे करेंगे ...

अगर आपके मन में यह प्रश्न है कि सामाजिक संगठन क्या होता है ? इसका गठन क्यो किया जाता है ?

समाज-कार्य (social work) या समाजसेवा एक शैक्षिक एवं व्यावसायिक विधा है जो सामुदायिक सगठन एवं अन्य विधियों द्वारा लोगों एवं समूहों के जीवन-स्तर को उन्नत बनाने का प्रयत्न करता है। सामाजिक कार्य का अर्थ है सकारात्मक, और सक्रिय हस्तक्षेप के माध्यम से लोगों और उनके सामाजिक माहौल के बीच अन्तःक्रिया प्रोत्साहित करके व्यक्तियों की क्षमताओं को बेहतर करना ताकि वे अपनी ज़िंदगी की ज़रूरतें पूरी करते हुए अपनी तकलीफ़ों को कम कर सकें। इस प्रक्रिया में समाज-कार्य लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति करने और उन्हें अपने ही मूल्यों की कसौटी पर खरे उतरने में सहायक होता है। 'समाजसेवा'वैयक्तिक आधार पर, समूह अथवा समुदाय में व्यक्तियों की सहायता करने की एक प्रक्रिया है, जिससे व्यक्ति अपनी सहायता स्वयं कर सके। इसके माध्यम से सेवार्थी वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में उत्पन्न अपनी समस्याओं को स्वयं सुलझाने में सक्षम होता है। समाजसेवा अन्य सभी व्यवसायों से सर्वथा भिन्न होती है, क्योंकि समाज सेवा उन सभी सामाजिक, आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक कारकों का निरूपण कर उसके परिप्रेक्ष्य में क्रियान्वित होती है, जो व्यक्...

स्कुल शिक्षा अब रोजगार देने में विफल हो रही है ... अब आगे क्या ?

औपचारिक शिक्षा Formal Education के विकल्प खोजने की मज़बूरी क्या थी ? औपचारिक शिक्षा वह शिक्षा है जिसको पूर्व आयोजन, नियोजन करके सम्प्रत्यंशील उपायों से प्रदान किया जाता है  | औपचारिक शिक्षा का तात्पर्य उस शिक्षा पद्धति से है जो बच्चो पर अभिभावकों द्वारा थोप दी जाती है | इस शिक्षा को   प्रदान करने का पहला स्थान विद्यालय है जहाँ वेतन प्राप्त करने वाले तथाकथित गुरूजी मातृ- भाषा, विज्ञान, गणित, भूगोल, इतिहास आदि विषयों की किताबो को पढ़ाकर शिक्षा देते है | इस तरीके से दी जाने वाली शिक्षा को हम साधारण बोल-चाल की भाषा में औपचारिक शिक्षा कहते है | इस शिक्षा को प्रदान करने के लिए नियमित रूप से अभिकरण स्थापित होते है व पाठ्यक्रम बनाया जाता है | इन पाठ्यक्रमो को पूरा करने के लिए सुनियोजित कार्यक्रम बनाये जाते हैं | जिसके आधार पर बालक शिक्षा ग्रहण करता है | अंत में छात्रों का मूल्यांकन किया जाता है | निजी ट्यूशन के द्वारा भी औपचारिक शिक्षा दी जाती है | विधिक दृष्टीकोण से यदि विचार किया जाय तो औपचारिक शिक्षा वह शिक्षा है जिसको पूर्व आयोजन, नियोजन करके सम्प्रत्यंशील उपायों से प्रदान...

क्या आप जानते है की वर्तमान में व्यवहारिक रूप से शिक्षा के कितने रूप है ?

शिक्षा के रूप कितने है ?   औपचारिक शिक्षा  Formal Education  अनोपचारिक शिक्षा  Informal Education और  निरोपचारिक शिक्षा  Non Formal Education वैसे तो शिक्षा के अनेक प्रकार हो सकते है लेकिन शिक्षा प्राप्त करने तथा प्रदान करने के उद्देश्य विधि तथा स्वरूप के दृष्टिकोण से अलग-अलग मान्यता रखते है | हमारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में परिस्थितिवश शिक्षा तिन प्रकारों में विभाजित हो गयी है | ये प्रकार है औपचारिक शिक्षा Formal Education अनोपचारिक शिक्षा Informal Education और निरोपचारिक शिक्षा Non Formal Education इन तीनो ही प्रकार से वर्त्तमान में लोग शिक्षा प्राप्त कर रहे है |

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