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मेरा दृष्टिकोण:- छल कपट के आरोपी पक्षकार शशिभूषण शुक्ला और सुधीर अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ गयी है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने विधिक मुद्दों के आधार पर हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। गौरतलब रहे कि, छत्तीसगढ़ के जिला बलौदाबाजार में महिर्षि महेश योगी के ट्रस्ट SRM Spiritual Regenerartion Movement Foundation of India की बलौदाबाजार स्थित दो जमींनों को गलत तरीके से रजिस्ट्री कर के हड़पने के आरोपित मामले में जिला सत्र न्यायालय बलौदाबाजार ने सुनवाई कर इन दोनों आरोपियों शशिभूषण शुक्ला और सुधीर अग्रवाल को आरोपी बताते हुए इनके विरुद्ध में क्रिमिनल धाराएं 419, 420, 465, 467, 468, 471, 16, 212, 217 & 120B इंगित करते हुए दिनांक 10-11-2014 एवं 22-11-2014 को निर्णय जारी करते किया और निर्देशित किया की स्थानीय पुलिस स्टेशन बलौदाबाजार में FIR दर्ज करने का आदेश दिया इसके पश्चात आरोपियों ने अपना प्रभाव दिखाकर तथा भ्रमित करने वाले चार अलग-अलग आवेदन देकर पुनरीक्षण केस को हाई कोर्ट बिलासपुर में दाखिल करवाया जिसमे हाई कोर्ट बिलासपुर ने तथाकथित तौर पर बिना तथ्यों की जाँच करते हुए FIR को निरस्त करने का आदेश नौ साल बाद दिनांक 09-08-2023 को कर दिया था।

 हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है और मार्गदर्शक निर्णय देकर... संस्थागत मामलों के अपराधिक कृत्यों पर की जाने वाली पुलिस कार्यवाही पर विधिक प्रकाश डाला है....

आरोपियों के द्वारा हाई कोर्ट बिलासपुर के समक्ष क्रिमिनल (Criminal) केस को दीवानी (Civil) केस दिखाकर निरस्त करवा लिया गया था लेकिन SRM Spiritual Regenerartion Movement Foundation of India के प्राधिकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए क्राइम केस न:- 486 /2014 के संबंध में दिनांक 22-10-2024 को सुप्रीम कोर्ट से आदेश प्राप्त करके खारिज करवाया और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को दोबारा इस केस के तथ्यों को पुनः जाँच कर के क्रिमिनल केस की समूर्ण विवेचना करने का न्यायालयीन परामर्श दिलवा दिया है।



भ्रामक जानकारी के आधार पर आरोपियों ने प्राप्त किया विधि विरुद्ध लाभ  

आरोपियों ने हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में 10 साल से लंबित मामले का सम्पूर्ण लाभ उठाते हुए लोकल पुलिस से इस केस की विवेचना एवं चार्जशीट किया है क्या यह लंबित चार्जशीट कार्यवाही से स्पष्ट होगा । उल्लेकनीय है कि आरोपियों के विरुद्ध ऐसे ही आपराधिक कृत्यों से मिलता जुलता केस भिलाई के व्यवसाई अजय अग्रवाल की कंपनी EBPL Ventures Pvt  Ltd की FIR क्रमांक:- 0241/2024 दिनांक 07-03-2024 को सुपेला थाना भिलाई में दर्ज किया गया है जिसमे आरोपीगण शशिभूषण शुक्ला और सुधीर अग्रवाल के ऊपर धाराएं 420,467,468,471 & 120B के तहत जुर्म कायम हुआ था।  इस केस में भी आरोपियों ने पुलिस और माननीय न्यायालय को गुमराह किए जाने का अभिलिखित आरोप लंबित है ।

भिलाई के सुपेला थाने और बलौदा बाजार पुलिस प्रकरण के आरोप-करीब-करीब एक जैसे हैं !

भिलाई और बलौदा बाजार के दोनो क्रिमिनल केसेस संबंधित जिला न्यायालय के समक्ष धारा 156(3) के तहत पेश किए गए थे जिस पर आवेदन का सम्पूर्ण संज्ञान लेते हुए जिला न्यायालय दुर्ग एवं जिला न्यायालय बलौदाबाजार के न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश के तहत FIR दर्ज की गयी थी।  आरोपियों के पैसों के दवाव में और पहुँच के कारण दोनों क्रिमिनल केसेस में वकीलों से मिलकर एक भ्रामक कार्यप्रणाली अपनाते हुए दोनों केसेस में आरोपियों को जमानत मिल जाना जांच का विषय है एवं हाई कोर्ट से केसेस को रद्द (Quash) करवाने के तरीके को नियम विरुद्ध कार्य शैली से क्रियान्वन आरोपी करवाते आयें है। भिलाई वाले केस में भी वैसी ही कार्यप्रणाली अपनाते हुए आरोपियीं ने हाई कोर्ट में आवेदन दिया और पुलिस विभाग ने समापन रिपोर्ट (Closure report) देते हुए इन अर्रोपियों के केस को सिविल मामला बताते हुए क्रिमिनल FIR को ख़ारिज कर दिया। 

क़ानूनी प्रक्रिया के प्रति सतर्क है भिलाई का शिकायतकर्ता पक्ष..!

भिलाई के व्यवसाई एवं शिकायतकर्ता  अजय अग्रवाल को आरोपियों के शातिराना कार्य व्यवहार का अंदेशा पहले ही हो गया था इसलिए व्यवसाई अजय अग्रवाल ने पहले ही माननीय CGM कोर्ट दुर्ग में आवेदन देकर पुलिस की  समापन रिपोर्ट को गलत इंगित करते हुए माननीय CGM कोर्ट में दरख़ास्त एवं तर्क संगत दस्तावेजीक प्रमाण नियमानुसार जमा कर दिए है परिमाण स्वरूप सुनवाई अभी जारी है।  

क्या हाई कोर्ट छत्तीसगढ़ के समक्ष अपूर्ण व भ्रामक जानकारी देते हैं आरोपी ?

भिलाई और बलौदा बाजार दोनों प्रकरणों से यह बात बिलकुल स्पष्ट है कि जिला न्यायालय के न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश को चुनौती देकर आरोपीगण हाई कोर्ट से अपना बचाव कर लेते है परन्तु यह भी बढ़ी अच्छी बात है कि सुप्रीम कोर्ट आरोपियों की शातिर कार्य शैली को विधिक तथ्यों के आधार पर समझतें हुए न्यायहित का संरक्षण कर हाई कोर्ट के फैसले को पलट देती है एवं जिला कोर्ट में  धारा 156(3) के तहत हुए आदेश को संज्ञान लेते हुए सलाह देती है की सम्पूर्ण जाँच कर केस की गहराई तक जाँच एवं  विवेचना कर के आरोपियों पर केस तय करे जबतक आरोपियों को गिरफ्तार से छुट दी गई है ।  

सुप्रीम कोर्ट अनुभव एवं बुद्धिमता के आधार पर क़ानूनी विसंगतियों एवं सुनियोजित और बनावटी गड़बड़ियों को पकड़ लेता है |

अन्तोत्गतवा इस लेख का सारभूत विषय यह है कि लंबी क़ानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग कर समाज के वैभवशाली एवं रसूक वाले लोग आपराधिक कार्य करते है और अपने ऊपर कार्यवाही भी नहीं होने देते है लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट में होता है तो अनुभवी न्यायालय न्यायहित सुनिश्चित करवाने वाली कार्यवाही करता है ।

धोखाधड़ी और भ्रमित करने वाली जानकारी देकर आरोपी जवाबदेही से आखिर कब तक बचेंगे..? 

आरोपी शशिभूषण शुक्ला और सुधीर अग्रवाल के साथ NUVOCO कंपनी के उच्च अधिकारी अमित पीडीया जैसे छत्तीसगढ़ में कंपनी जगत से जुड़े बड़े नाम चर्चा में आ गए है क्योंकि DHPPL के डायरेक्टर अजय अग्रवाल द्वारा धोखाधड़ी, कुटरचना, छलरचित दस्तावेज बनाने के षड्यंत्र पूर्वक कार्याचरण की शिकायत पर माननीय न्यायालय ने आरोपियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के आदेश मार्दिच 2024 को दिए है….

व्यथित व्यवसाई के अधिवक्ता गण आरोपियों के द्वारा परिवाद कार्यवाही में भ्रम उत्पन्न करने वाले दांव-पेंच के विरुद्ध तथ्य पूर्ण क़ानूनी स्पष्टीकरण दे रहें है  

ज्वाइंट वेंचर्स से निर्मित संयुक्त उपक्रम वाली कंपनी DHPPL के प्रति अपराधिक कृत्य करने वाले आरोपियों के विरुद्ध भिलाई के व्यवसाई की शिकायत अक्रटूबर 2022 में की जिस पर पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने से व्यथित व्यवसाई ने आरोपियों के विरुद्ध जिला न्यायालय दुर्ग के न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी दुर्ग के समक्ष जनवरी 2023 में अपने अधिवक्ता सोहन शर्मा एवं सुदेश पेटे के माध्यम से पेश किया जिस पर संज्ञान लेकर माननीय न्यायालय ने न्याय सम्मत आदेश देकर आरोपियों के विरुद्ध मार्च 2024 फआईआर दर्ज करने का निर्णय लिया है ।

यह लेख, विधि व्यवसाईयों लिए कंपनी मामलों का विश्लेषण करता है

ज्वाइंट वेंचर्स से निर्मित संयुक्त उपक्रम वाली कंपनी DHPPL के प्रति अपराधिक कृत्य करने वाले आरोपियों के द्वारा न्यायालयीन कार्यवाहियों में कोई गए सुनियोजित एवं अनियमित कार्य शैली को उजागर करता है इसलिए अगर आप भी कंपनी मामलों के विधिक पहलुओं को जानना चाहते है तो यह लेख… कंपनी मामलों के विधिक पहलुओं पर प्रकाश डालने वाला हैं….

सामान्य दृष्टिकोण से आरोप क्या है ? इस पर थोडा प्रकाश डालते हैं |

आरोपी पक्षकारो के विरुद्ध ये आरोप हैं कि उन्होंने DURGA HITECH PROJECTs PVT. LTD. COMPANY की बैलेंसशीट में संचय (reserves) कि हुई राशि रु 1,82,44,593 को हड़पने के उद्देश्य से फर्जी ट्रको की परिवहन बिल की कूट रचना करके षड्यंत्र पूर्वक उक्त राशि को आरोपी की कंपनी (DURGA CARRERS  PVT. LTD) के बैंक खाते में रकम अनियमित कार्य व्यवहार कर बैंक ट्रांसफर कर दिया गया है।

शिकायत अनुसार आरोपित गबन राशि को आरोपी ने कैसे खाताबही में ट्रांसफ़र किया गया था ? जान लीजिए !

छल और कुट रचित परिवहन बिल लगाकर आरोपित गबन राशि आरोपियों द्वारा कपट पूर्वक कार्य व्यवहार कर आहरित की गई | गौरतलब रहे कि, लगभग 24,000 ट्रको की ट्रिप में कंस्ट्र्रक्शन साइट का कचरा ढुलाई का बिल तथाकथित तौर पर लगाया गया, जिसमे मुख्यतः रेलपांत के टूटे हुए टुकड़े होने का विवरण दिया हुआ है | 

व्यवसायिक दृष्टिकोण से तर्क संगत क्यों नही माना जा सकता है “यह बिल” ?

एक ट्रक की भार-क्षमता अगर 10 टन भी होती है, तो 24,000 ट्रको के कुल स्केप का भार (टनऐज) लगभग  2,40,000 टन होगा | इस लौह-स्क्रैप का बाजार मूल्य 30,000 रु टन के हिसाब से अनुमानित 720 करोड़ होना चाहिए | तर्क है की : गौरतलब रहे कि, कुल 26 km नई रेल-लाइन बिछाने का L&T कंपनी द्वारा दिया गया ठेके का मूल्य 70 करोड़ रु था तो 720 करोड़ का स्क्रैप मूल्य कैसे हो सकता है ?

उत्पादन मानकों के अनुसार खाता बही में दर्शित लोहे की मात्र कितनी होनी चाहिए !

सम्पूर्ण 26 KM नई रेललाइन मैं रेलपांत की कुल मात्रा 26 X 2 =52 KM (52,000m) की होती हैं | 1 मीटर रेलपांत का वजन 60 किलो प्रति मीटर (60kg/m) होता है, जो भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau Of Indian Standards) द्वारा प्रमाणित है और पूरे भारतवर्ष में इसी मानक के आधार पर रेलपांत  का उत्पादन बड़ी इस्पात उद्योग कंपनियों जैसे कि भिलाई स्टील प्लांट, जिंदल स्टील प्लांट इत्यादि करती है। 

खाता बही में किए गए गबन अनुसार  परिवहन किए गए स्क्रैप का बाजार मूल्य पूरी कहानी बयां करता है !

उपरोक्त 52000 मीटर को 60 किलोग्राम प्रति  मीटर से गुना करेंगे तो कुल वजन 31,20,000 किलोग्राम आता है जो कि अगर मीट्रिक टन में बदले तो यह वजन 3120 मीट्रिक टन होता है (क्योंकि एक मीट्रिक टन मतलब 1000 किलोग्राम होता हैं |) इस 3120 मीट्रिक टन की नई रेलपांत का बाजार मूल्य रू 70,000 प्रति टन हैं l

जिससे पूरी रेल लाइन का कार्य करने में संपूर्ण रेलपांत का वजन  3120 मीट्रिकटन X रु 70000 /- टन= रू 21,84,00,000 (लगभग 22 करोड़ करोड़) 

तर्क : इतनी बड़ी राशि के मूल्य 720 करोड़ का लोहा स्क्रैप कहां है ? किसके गोदाम में रखा गया है ? 

आरोपिगणों ने लौह स्क्रैप  की मात्रा को 24000  ट्रैकों की ट्रिप से परिवहन करना दर्शाया है, जो की अत्यंत ज्यादा प्रतीत होता है इसलिए  मनगढ़ंत है चुंकि 24000 ट्रैकों की ट्रिप X 10 टन = 2,40,000 मीट्रिक टन का लौहस्क्रैप के उत्पन्न होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठाता है। इसलिए ऊपर दी गई गणना से स्पष्ट होता है कि यह की आरोपियों ने फर्जी ट्रांसपोर्टेशन बिल बना कर उसका समायोजन (कुल योग ) अनियमित तरीके से धोखा देने की नियत से षडयंत्र पूर्वक करके पैसा हड़पने की साजिश साफ स्पष्ट दिखाई देती है।

समयावधि के दृष्टिकोण से भी समायोजित परिवहन बिल राशि फर्जी है होना दर्कशित करती है ।

गौर तलब रहे की L & T कंपनी का 70 करोड़ का कार्य, 19 सितंबर 2014 में समाप्त हो चुका था, जिसका कार्यपूर्णता प्रमाणपत्र  L & T कंपनी में जून 2015 में जारी कर दिया था, जब कार्य 2014 में संपूर्ण हो चुका था तो 2017, 2018  और  2019  में रेलपाथ के टूटे टकड़े  वो  भी 2,40,000 टन पूर्णतः मन घडंत है और सिर्फ DHPPL  कंपनी के बैलेंससीट में बची हुई राशि को हड़पने की साजिश एवं रणनीति थी | जिसे परिवाद में किए गए आरोपों अनुसार अंजाम दिया गया है क्योंकि सामान्य धारणा के अनुसार रेलवे का सम्पूर्ण कार्य समाप्त होने का तात्पर्य यही हैं कि कंस्ट्रक्शन साइट पर कोई भी स्क्रैप कचरा शेष नहीं हैं, उसके बाद ही मालगाड़ी बिजली इंजन (ELECTRICAL LOCO) से आवागमन कर पाती हैं |

ठेका कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने के बाद परिवहन बिल !  कैसे संभव है ?

रेललाइन  बिछाने  एवं सिविल वर्क  का कार्य L & T कंपनी  के द्वारा  DHPPL  कंपनी को सन 2010 में दिया गया था इसलिए  DHPPL  कंपनी  की सारी जिम्मेदारी  L & T कंपनी के कर्य समाप्त करने के बाद खत्म हो जाती  है। इससे यह साफ स्पष्ट होता है कि कूटरचित परिवहन बिल बनाने का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ और सिर्फ 1,82,44,593 रु हड़प करने का षड्यंत्र जिसमें NUVOCO कंपनी के  उच्च अधिकारी श्रीमान अमित पीडीहा (Amit Pidiha)  को भी आरोपियों ने अपने इस षड्यंत्र में सम्मिलित कर लिया जिसके कारण उन्होंने कचरा ( रेलपाथ के टुकड़े ) का कार्य ( जो हुआ ही नहीं है ) को सत्यापित करते हुए आरोपियों के षड्यंत्र में भागीदार बन गये।   NUVOCO कंपनी  के MD को  रजिस्टर्ड ऑफिस मुंबई में लीगल नोटिस  और पत्राचार करके EBPL VENTURES PVT LTD के डायरेक्टर अजय अग्रवाल ने स्पष्टीकरण मांगा जिसका गोल-मोल जवाब दिया गया जो सत्य से परे था और गबन राशी के विषय में अनभिज्ञता जाहिर की गई तथा 720 करोड़ के स्क्रैप के बारे हमें कुछ भी मालूम नहीं है कहा गया |

कंपनी सीए को आरोपी बनाए जाने का आधार भी तर्क संगत है !

इस बात  से पूणतः स्पष्ट है कि 1,82 44,593 रु निकालने के लिए आरोपियों ने कूटरचित बिल दस्तावेजो बनाते हुए धोखाधड़ी करते हुए 50% पार्टनरशीप कंपनी EBPL VENTURES PVT. LTD. को हानि पहुंचाई हैं, इस कूटरचित बिल दस्तावेजों को बना कर सन 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट में अनियमित कार्य व्यवहार से नियुक्त नए चार्टेड-अकॉउंटेट नीरज बेध रायपुर से दस्तावेज को प्रमाणित करवा लिया | नए ऑडिटर नीरज बेध की नियुक्ति पुराने ऑडिटर के बिना NOC के एवं 50%  पार्टनरशीप कंपनी EBPL VENTURES PVT. LTD. के बिना अनुमति के  DURGA HITECH PROJECTs PVT. LTD. COMPANY में ऑडिटर बना कर कूटरचित बिल दस्तावेज को सही करवा कर MCA (MINISTRY OF CORPORATE AFFAIRS) की सरकारी वेबसाइट में अपलोड कर दिया गया था जिसे डाउनलोड करके 50%  पार्टनरशीप कंपनी EBPL VENTURES PVT. LTD ने संज्ञान लिया और सुपेला थाने में OCT’ 2022 को शिकायत दर्ज करवाई |

अपराधिक व्यवसायिक गतिविधि जो की खाताबाही में किए गए गबन आरोप आधारित है इस अपराध पर की गई अनियमित पुलिस कार्यवाही का विधिक आधार क्या है ?

पुलिस थाना सुपेला के द्वारा पुलिस शिकायत पर करवाई नहीं करने के पश्चात JAN’ 2023 में न्यायिक दण्डाधिकारी (JMFC) कोर्ट दुर्ग में धारा 156(3) के तहत  याचिका दायर करके माननीय न्यायालय में 4 march  2024 को याचिका को सही पाते हुए आदेश पारित किया कि 6 आरोपियों पर FIR करते हुए धारा 420, 467,468,471 &120B के तहत मामला दर्ज़ किये जावें  |  ऐसा विधि सम्मत आदेश पारित किया गया है ।

धोखाधड़ी कुटरचना छलरचित दस्तावेज जैसे गंभीर और पुलिस संज्ञान के अपराध की शिकायत पर लंबित है मामला  !

कंपनी अपराध के आरोप को विधि द्वारा किस धारा में परिभाषित किया गया है और माननीय  न्यायालय द्वारा धारा 420,467,468 & 120B लगाते हुए धोखाधड़ी कुटरचना छलरचित दस्तावेज बनाते हुए षड़यंत्र पूर्वक सभी 6 अरोपियों ने मिल कर 1,82,44,593 रु हड़पने के उद्देश्य से अपराधिक कार्य को अंजाम दिया गया है वर्तमान में यह पुलिस के जांच का विषय है । 

न्यायालयीन कार्यवाही में आरोपी अपना पक्ष प्रस्तुत करने में कैसे कठिनाई महसूस करेंगे ?

न्यायालय में आरोपियों को अपना पक्ष रखने में दिक्कत  होने का कारण  ये है कि कुटरचित एवं छलरचित दस्तावेजों  को  बनाने  के  बाद अब उसमे कोई भी सुधार की  गुंजाईश नहीं है | तथा कथित तौर पर उठाये गया कचरा (लौह स्केप) का परिवहन बिल जो आरोपी प्रस्तुत कर रहे हैं उस स्केप का बिक्री मूल्य जो कि लगभग 700 करोड़ रु से ज्यादा होता  है, उस पैसे का आरोपियों ने कहाँ उपयोग किया और पैसे किस बैंक खाते में आये तथा किस पार्टी को  स्क्रैप  बेचा गया | जैसे सवालों का जब आरोपी पक्षकारों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने की विधिक बाध्यता वर्तमान में बनी हुई है ।

शशिभूषण शुक्ला और सुधीर अग्रवाल कंपनी से त्यागपत्र देकर क्या अपने कर्मचारियों को गबन का आरोपी साबित कर बच जायेंगे ?

इस आपरधिक कार्य करने के पूर्व में DHPPL (DURGA HITECH PROJECTs PVT. LTD.) के दो डायरेक्टर एवं अरोपीगण (शशिभूषण शुक्ला और सुधीर अग्रवाल ) ने सत्र JAN 2019 में त्यागपत्र देकर कंपनी DHPPL  में अपने तीन मुलाजिमों को कंपनी DHPPL में नये डायरेक्टर  के  रूप में नियुक्त कर दिया जिसमें 50% पार्टनरशिप कंपनी  EBPL VENTURES  PVT. LTD के डायरेक्टर  से कोई सहमति नहीं ली गई  |

आरोपी गण पुलिस जाँच में गलत बयां कर रहें है और कोर्ट को भी गुमराह करने की कोशिश कर रहें है |

उक्त कंपनी मामलों का विश्लेषण होगा जैसे की DHPPL (DURGA HITECH PROJECT PVT. LTD.) की 50% पार्टनरशिप  EBPL VENTURES  PVT. LTD ने कंपनी DHPPL में उत्पीड़न एवं क्रुप्रबंधन होने के कारण NCLT नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल कटक में OCT 2022 में याचिका दायर कर DHPPL के प्रबंधन में अनियमितताओं  को उजागर करते हुए माननीय ट्रिब्यूनल से संज्ञान लेने की गुजारिश की, जिसमें माननीय ट्रिब्यूनल का निर्णय अभी  लंबित हैं  |    

जुलाई 2024 में हाई कोर्ट बिलासपुर ने आरोपी गण की FIR रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया था क्योकि पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी, जिसके विरुद्ध शिकायतकर्ता ने पुलिस द्वारा शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं किये जाने के कारण तत्पश्यत जारी की गई क्लोजर रिपोर्ट के विरुद्माध ननीय CJM कोर्ट में अपनी आपत्ति दर्ज करवाई थी जिस पर सुनवाई चल रहीं है ?  

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नोट : उक्त मामले में निजी तौर पर तृतीय पक्षकार के तौर पर सामाजिक कार्यकर्ता अमोल मालूसरे हैं ने एक नोटिस आरोपियों से वस्तुस्थिति जानने के लिए दी है जिसका विवरण इस लिंक पर है 👇👇👇 

https://meradrushtikon.blogspot.com/2024/06/blog-post.html




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जन सामान्य के आवासीय प्रयोजन के भूखंडों का नियमितीकरण मामला नोटिस कार्यवाही प्रक्रिया से पारदर्शिता के दायरे में आयेगा… मौकापरस्त महापौर अब जन-सामान्य की समस्याओं को नजरंदाज करने की स्थिति में नहीं रहेंगे… अविभाजित भिलाई निगम में विगत कई वर्षों से लगातार कांग्रेस की शहर सरकार रहीं है… निगम महापौर भी कांग्रेस का रहा है… जिसने अविभाजित भिलाई निगम और विभाजित रिसाली एवं भिलाई निगम की संपत्ति का लेखा-जोखा पारदर्शिता के दायरे में लाने की पदेन जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया है जिसके कारण नोटिस देकर कार्यवाही करने की परिस्थिति बनी है… नोटिस Download लिंक 👇क्लिक करें 👇 https://drive.google.com/file/d/152ki3rd2ZzJRzu-pB_LDlrLpYwz9WqGR/view?usp=drivesdk पार्षद अब अपने प्राधिकार का उपयोग कर महापौर की पदेन जिम्मेदारी तय करवायेगें  जन सामान्य स्तर से की गई संज्ञान नोटिस पर अब पार्षद संज्ञान लेकर निगम महापौर से अपने वार्ड के शासकीय अचल संपत्ति ब्यौरा मांगने के बाध्य हो गए हैं क्योंकि… इस नोटिस की प्रति सभी पार्षदों को व्हाट्सएप पर दी गई है और पार्षद चाहें तो निगम आयुक्त से विधिवत इसकी छायाप्...

भूपेश सरकार की नाकामी को उजागर कर रहा है विधायक देवेंद्र… भिलाई की कामकाजी महिलाओं को तर्क विहीन संभावना बताकर भावनात्मक आधार पर गुमराह करने का मामल है : भिलाई का सी-मार्ट व्यवस्थापन कार्य व्यवहार... इसलिए आमंत्रित है विधायक देवेंद्र यादव… सी-मार्ट की नोट शीट और मूल नस्ती के साथ.. “विशेष चर्चा के लिए”... सार्वजनिक मंच पर आईए… विधायक महोदय…

कामकाजी महिलाओं की आर्थिक स्थिति से खिलवाड़ का मामल विधानसभा कार्यवाही के बाद से पारदर्शिता के दायरे में आ रहा है । भिलाई क्षेत्र की कामकाजी महिलाओं को अपूर्णीय आर्थिक क्षति पहुंचाने वाली विगत भूपेश सरकार की  "ख्याली पुलाव साबित होने वाली योजना सी-मार्ट" पर विगत वर्षों से जमी अनियमितताओं की धूल को हटाने वाल विधानसभा प्रश्न इस योजना से व्यथित महिलाओं के बीच विशेष चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि विधानसभा सत्र दिनांक 25 फरवरी, 2025 का प्रश्न क्रम 25. प्रश्न क्र. 176 से विधायक देवेन्द्र यादव ने प्रश्न पूछा कि, क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि, 1/ नगर पालिका निगम भिलाई के अंतर्गत संचालित सी-मार्ट की वर्तमान स्थिति क्या है ?  2/ क्या उनका संचालन किया जा रहा है ?  3/ यदि हां तो उनमें किन उत्पादनों का विक्रय किया जा रहा है ?  4/ यदि बंद है तो उसको पुनः संचालित कब तक किया जाएगा, जानकारी देवें ? उल्लेखनीय है कि, विधायक देवेंद्र यादव ने छत्तीसगढ़ की विगत भूपेश सरकार की नाकामी और भिलाई नगर निगम के महापौर की तर्क विहीन प्रशासकीय कार्य नीति तथा शासकीय कोष को क्षत...

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल का मुख्य कार्य प्रदेश में होने वाले प्रदूषण को विधिवत नियंत्रित करना और ऐसी प्रदूषण गतिविधियों को रोकना और समूल ख़त्म करना है जिसकी अनिवार्य आवश्यकता आम आदमी को नहीं है… लेकिन छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का सदस्य सचिव अपने पदेन कर्तव्य को पूरा करने की मंशा से कार्य करता नजर नहीं आ रहा है… जो कि व्यथनीय है… पढ़िए लोकस्वास्थ्य संरक्षण के विषय…

पर्यावरण संरक्षण का विधिक पहलू है कि ऐसे घातक प्रदूषण करने वाले कारकों और प्रदूषणकारी तत्वों को जनित करने वालों की प्रावधानुसार पंजीकृत कर उनकी जवाबदेही तय करना… इसलिए हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने नितांत आवश्यकता की पूर्ति हेतु पर्यावरण मंत्रालय की स्थापना कर पर्यावरण मंत्री को पदेन जिम्मेदारी दी है कि… वह लोकस्वास्थ्य का संरक्षण करें.. लेकिन छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंत्री प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्या रहा है यह प्रश्न अनुत्तरित है … प्रदूषण नियंत्रण हेतु छत्तीसगढ़ राज्य में जिम्मेदार प्राधिकारी कौन है और पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या कर रहा है..? प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राज्य के सर्वोच्च संगठन होने के नाते छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की योजना तैयार करता है और उसके निष्पादन हेतु जिम्मेदार है। मण्डल पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए उच्च टैक्नॉलाजी और बेहतर प्रबंधन को विकसित करने और कार्यान्वित करने हेतु प्रतिबद्ध भी है। राज्य में जल स्त्रोतों एवं वायु गुणवत्ता पर सतत् निगरानी रखना एवं उसको स्वच्छ बनाए रखना छत्तीस...

भिलाई इस्पात संयंत्र कर्मियों के परिवारों की भावनाओं को… हाउस लीज विषय बेहद आहत करने वाला मामला, हमेशा से रहा है लेकिन..! इससे भी कहीं अधिक पीड़ा..! इस बात की है कि, बीएसपी हाउस लीज मामले में… झूठा आश्वासन देकर अपनी राजनीतिक दुकान चलाने वाले कांग्रेसी नेता देवेंद्र यादव जैसे लोगों की… मौका परस्ती वाली राजनीतिक भूमिका ने भिलाई वासियों के भावनात्मक ज़ख्मों को… बेरहमी से कुरेदने का काम किया है लेकिन..! अब इस मामले में विधि अपेक्षित संघर्ष प्रारंभ हो गया है… कागजी कार्यवाहियों में दफ़न किए गए..! जमीन घोटालों को उजागर करने वाला पहला पड़ाव भिलाई निगम संपत्ति ब्यौरा मांगने की नोटिस देकर… मौक परस्त कांग्रेसी नेता देवेंद्र यादव से प्रतिक्रिया मांगी गई क्योंकि इसी प्रतिक्रिया के आधार पर हाउस लीज विषय स्वमेव पुनर्जीवित हो जाएगा है…

निगम संपत्ति का ब्यौरा क्यों ? भिलाई विधानसभा चुनाव जीतने के लिए विधायक देवेंद्र यादव ने दो बार बीएसपी कर्मियों के परिवार की भावनाओं से जुड़े बीएसपी हाउस लीज मामले को झूठी और तथ्य विहीन जानकारी देकर राजनीतिक तौर पर भुनाया है..! उल्लेखनीय है कांग्रेसी नेता देवेंद्र यादव ने अपने चुनावी प्रचार में… यह तथ्य विहीन भ्रम फैलाया था कि… बीएसपी हाउस लीज की रजिस्ट्री होगी तदोपरांत… भ्रमित होकर कई लोगों ने मालिकाना हक्क प्राप्त करने के तर्क विहीन बहकावे में आकर बीएसपी हाउस लीज रजिस्ट्री भी करवाई लेकिन…! इसके बाद रजिस्ट्री करवाने वाले कितने हाउस लीज धारकों को तथाकथित मालिकाना हक्क मिला है..! यह अनुत्तरित प्रश्न विचारणीय पहलू है।  कांग्रेसी नेता देवेंद्र यादव की कुटिल राजनीति के लिए मुंहतोड़ प्रश्न ? गौरतलब रहे कि, पूर्व महापौर देवेंद्र यादव ने भिलाई नगर पालिक निगम संपत्ति का लेखा-जोखा की वार्ड वार विभागीय पारदर्शिता को सुनिश्चित करवाने का पदेन कर्तव्य पूरा नहीं किया था । जिसके कारण भिलाई नगर निगम की अचल संपत्ति पर कितना अवैधानिक अतिक्रमण और कब्जा किया गया है ? यह अधिकृत तौर पर स्पष्ट नहीं हु...

चलो अरपा नदी को बचा लेते हैं… क्योंकि छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग की अरपा भैंसाझार वृहद परियोजना को… वर्षों बाद भी पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किए जाने की परिस्थिति बन नहीं पाई है… बेहद खेद जनक है कि हमारे द्वारा छत्तीसगढ़ शासन को दिए गए आयकर, संपत्तिकर राशि में से करोड़ों रुपए… गैर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस महत्वकांक्षी परियोजना पर खर्च कर दिए हैं परन्तु… यह राशि भ्रष्टाचार का निवाला बन गई है… इसलिए जिम्मेदार प्राधिकारियों को अब विधिक चुनौती देने की परिस्थिति बन गई है…

बिलासपुर के लिए आवश्यक मानव उपयोग का जल उपलब्ध करवाने वाली अरपा नदी के जल बहाव को नियंत्रित कर उसका उपयोग जन कल्याण के लिए करने हेतु… अरपा भैंसाझार वृहद परियोजना का निर्माण कार्य करने के लिए शासन द्वारा ठेका दिया गया है लेकिन इस ठेका कार्य की वर्तमान स्थिति क्या हैं इसका अधिकृत जवाब देने वाला बिलासपुर में क्यों नहीं है…? वर्षो बाद भी अपूर्ण और अधूरी क्यों है बिलासपुर की अरपा भैंसाझार वृहद जल संसाधन परियोजना… कौन बतायेगा ? छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना है। यह परियोजना बिलासपुर जिले के कृषि क्षेत्र को नया आयाम देने के उद्देश्य से शासन द्वारा प्रारंभ की गई है। इस परियोजना के माध्यम से क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जाने की व्यवस्था की जानी थी जिससे कि बिलासपुर क्षेत्र के कृषि उत्पादन में वृद्धि हो सकेगी और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। परियोजना के लोक लुभावने उद्देश्य जो वर्तमान में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए और जिम्मेदार अधिकारी मूक दर्शक बन गए… सिंचाई क्षमता में वृद्धि: इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र की ...

छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के प्रोफेसर और विद्यार्थियों के लिए गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण स्थापित करने के लिए… विगत दिनों शासन आदेश जारी किया गया है… उल्लेखनीय है कि, यह शासन आदेश सामाजिक कार्यकर्ता निशा देशमुख के द्वारा किए गए पत्र व्यवहार की प्रतिक्रिया में जारी किया गया है… जिसमें निर्देशित किया गया है कि, उच्च शिक्षण संस्थानों में आंतरिक शिकायत समिति का गठन किए जाने के उपरांत कार्यशाला एवं अभिविन्यास कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाय… पढ़िए पूरा विवरण….

छत्तीसगढ़ शासन ने उच्च शिक्षा विभाग ने महिला सुरक्षा और गरिमा स्थापित करने वाले अधिनियम और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ के सभी महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि, वें अपने कार्यस्थल पर विधिवत आंतरिक शिकायत समिति का गठन कर… समिति सदस्यों एवं सभी अधिकारी, कर्मचारी, प्राध्यापकों एवं छात्रों के लिए कार्यशाला एवं अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन करे । उच्च शिक्षा विभाग के… शासनादेश जारी करने पर आभार व्यक्त किया गया  महिला सुरक्षा एवं संरक्षण विषयों पर कार्य करने वाली सामाजिक संस्थाओं ने छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश का स्वागत किया है और इस आदेश को महिलाओं को उनके अधिकार दिलवाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाला बताया है । सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता एवं सामाजिक अंकेक्षक निशा देशमुख ने शासनादेश के विषयवस्तु को महत्वपूर्ण बताया छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा जारी आदेश पर निशा देशमुख ने छत्तीसगढ़ शासन का आभार व्यक्त किया और कहा कि उच्च शिक्षा देने वाले कार्यस्थल पर विधिवत कार्यान्वयन करने वाली आंतरिक शि...

सामाजिक कार्यकर्ता निशा देशमुख ने भिलाई वासियों के बिजली बिल मामले पर चर्च में कहा कि...भिलाई वालों का बिजली बिल मामला कब सुलझेगा..? यह निरुत्तरीय प्रश्न और उलझ गया है क्योंकि… गोलमोल शब्दशैली वाला स्वार्थसिद्धि पूर्ण… विधानसभा प्रश्न पूछ कर..?... विधायक देवेंद्र यादव द्वारा भिलाई विधानसभा क्षेत्र से पुनः विश्वासघात किया जाना… जन सामान्य द्वारा महसूस किया जा रहा है… इसलिए जन सामान्य के स्तर से आवाज उठ रहीं है कि, इस विषम परिस्थिति पर स्पष्टीकरण दो… विधायक महोदय!

भिलाई नगर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत विद्युत बिलों में उपभोक्ताओं को प्रदायित छूट के संबंध में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री महोदय ने विधानसभा प्रश्न पर…  महत्वपूर्ण जानकारी दी है लेकिन इस जानकारी के आधार पर भिलाई इस्पात संयंत्र कर्मियों के आवास का बिजली कितना कम होगा  ? यह विधायक महोदय कब बतायेंगे..? इसका इंतजार सभी को है… विधायक देवेंद्र यादव का विधानसभा प्रश्न… छत्तीसगढ़ शासन के ऊर्जा विभाग से विधानसभा कार्यवाही में 12 मार्च, 2025 विधानसभा प्रश्न क्रम 33. प्रश्न क्र. 1564 विधायक देवेंद्र यादव द्वारा पूछा गया था कि, क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि, भिलाई नगर विधान सभा क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं को बिजली बिल में क्या छूट प्रदान की जा रही है ? इस प्रश्न का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री (श्री विष्णु देव साय) ने बताया कि:-  भिलाई नगर विधानसभा क्षेत्र के घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को "घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत देयकों में राहत" योजना”, बीपीएल उपभोक्ताओं को एकल बत्ती कनेक्शन हेतु अनुदान योजना एवं कृषकों को "डॉ० खूबचंद बघेल किसान विद्युत सहायता योजना" क...

मामले जिन पर चर्चा गरमाई हुयी है

राष्ट्रीय कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी का विकल्प छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने तैयार कर लिया है… गौरतलब रहे कि, भिलाई विधायक देवेंद्र यादव ने अपनी गिरफ्तारी के पूर्व कांग्रेस हाई कमान को कई कूटनीतिक संकेत दिए है… उल्लेखनीय है कि, प्रदेश कांग्रेस दीपक बैज के खेमे ने आरोपी देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी के पूर्व अपनी उपस्थिति दल-बल के साथ देकर… कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारियों को यह बता दिया है कि, विगत छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेतृत्व ने राहुल गांधी से भी अधिक प्रभावशील नेतृत्व क्षमता वाले नेता को… भिलाई विधायक के तौर पर विधानसभा में बैठाया है… उसे वर्तमान प्रदेश हाई कमान ने नियंत्रण में कर लिया है… पढ़िए अंदरूनी राजनीतिक पहलू…

पुलिस प्रशासन ने जिम्मेदारी निभाई आमाजिक तत्व हुए हताश दुर्ग जिला प्रशासन द्वारा घर में छिपे आरोपी विधायक को दी गई समझाइश और विधिक कार्यवाही के बाद बलौदाबाजार-भाटापारा जिला प्रशासन ने भिलाई विधायक आरोपी देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी उसके घर से करके… यह बता दिया की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामाजिक विद्वेष पैदा करने वाली मानसिकता से राजनीतिक रोटी सेंकने वाले नेता को… दृढ़ प्रशासकीय इच्छाशक्ति कायम कर उसके घर से विधि अपेक्षानुसार गिरफ्तार किया जा सकता है… ताडफोड जैसी अवांछित घटना का शिकार होने से  बच गई भिलाई इस्पात संयंत्र के आवासीय क्षेत्र की शांति व्यवस्था क्यों घर में छिपा था देवेंद्र यादव… बलौदा बाज़ार ज़िला  ( Baloda Bazar district ) पुलिस का सहयोग कर कांग्रेस के दीपक बैज के खेमा ने बीच बचाव करके घर में छिपे बैठे आरोपी देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी बिना किसी सार्वजनिक नुकसान के करवाई… क्योंकि आरोपी देवेंद्र यादव के द्वारा पुलिस को असहयोग किए जाने पर… छत्तीसगढ़ कांग्रेस का कोई बड़ा नेता आरोपी देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी को कानून हाथ में लेकर बलात रोकने के लिए आगे आना नहीं चाहता ...

निगम अधिनियम में वार्ड पार्षद को कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए है... जिनका प्रयोग करके वार्ड पार्षद अपने निर्वाचन क्षेत्र का सर्वागीण विकास कर सकता है... इसके लिए आवश्यक है की पार्षद को निगम अधिनियम के अग्रलिखित विधि निर्देश को पढ़ना और समझना पड़ेगा तथा अपने अधिकार को प्रयोग में लाना होगा

पार्षदों को मिला असीमित अधिकार अब पार्षद प्रश्न भी पूछ सकेंगे,   प्रश्न से सम्बंधित दस्तावेजो और फ़ाइल का अवलोकन भी कर सकेंगे और   नियम आयुक्त और निगम अधिकारियो से निगम सम्मिलन के दिन लिखित में जवाब भी प्राप्त कर सकेंगे इसलिए अब निगम आयुक्त, निगम के अधिकारी / कर्मचारी और जिम्मेदार जन प्रतिनिधि अर्थात एम.आई.सी. सदस्य इन तीनो से पार्षद सीधे प्रश्न पूछकर जवाब मांग सकेंगे तथा विधायक और सांसद की तरह शहर सरकार का सशक्त अंग होने की अपनी पहचान बना सकेंगे पार्षद को शक्ति संपन्न बनाने वाले निगम अधिनियम के अंतर्गत बनाये गए नियम निम्नानुसार हैं :-  पहला नियम :-   छ.ग. नगर पालिक निगम अधिनियम १९५६ की धारा २५-क पार्षदों के कर्तव्य - छ.ग. नगर पालिक निगम अधिनियम १९५६ की धारा २५-क में परिभाषित किये गए है और इस विधि निर्देश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि, पार्षद निगम सम्मिलन में भाग लेकर महापौर या आयुक्त का ध्यान... निगम की सम्पत्ति की किसी हानी या... निगम के किसी योजना या.... सेवा में किसी कमी के तरफ ध्यानान्कर्षण करवायेगा दूसरा नियम :- छ,ग. नगरपालिक (कामकाज के ...

झोलाछाप डॉक्टरों और अपंजीकृत चिकित्सा व्यवसाइयों को पहचानना और उनसे बचाव करने के लिए हमारे लोकतांत्रिक कानूनी व्यवस्था में चिकित्सा सुविधा देने के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने की है पर्याप्त व्यवस्था है… पढ़िए जागरूक रहने के विधिक पहलू…

लोक स्वास्थ्य को अपूरणीय क्षति पहुंचाने वाले अनियमित चिकित्सा व्यवसाई ग्रामीण और शहरी दोनो ही जगह… अपनी दुकान चला रहें है लेकिन जन जागरूक के आभाव में इनके विरुद्ध शासन कानूनी कार्यवाही नहीं कर पा रहा है… इसलिए यह लेख जन जागरूकता लाने का एक प्रयास है… झोलाछाप डॉक्टरों को पहचानना और उनसे बचना बेहद ज़रूरी है। ये लोग न केवल आपके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं बल्कि आपकी जान को भी खतरे में डाल सकते हैं। झोलाछाप डॉक्टरों की कुछ खास पहचान: अयोग्यता का दावा: ये लोग अक्सर असाध्य बीमारियों का भी इलाज करने का दावा करते हैं, जो किसी योग्य डॉक्टर के लिए भी मुश्किल हो सकता है। गुप्त स्थान: ये लोग अक्सर घरों, छोटी दुकानों या ऐसी जगहों पर अपना क्लीनिक चलाते हैं जहां कोई मेडिकल सुविधाएं नहीं होतीं। सस्ते इलाज का लालच: ये लोग आमतौर पर अन्य डॉक्टरों की तुलना में बहुत कम पैसे में इलाज करने का झांसा देते हैं। आधुनिक तकनीक से अनभिज्ञता: ये लोग आधुनिक मेडिकल उपकरणों और तकनीकों से अनजान होते हैं। अनावश्यक दवाएं: ये लोग अक्सर मरीजों को अनावश्यक दवाएं देते हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती...

छत्तीसगढ़ का महिला आयोग कार्यालय ने तथाकथित विधि विरूद्ध कार्य व्यवहार के कारण गंभीर आरोपों से घिर गया है क्योंकि व्यथित महिलाओं को आयोग के कार्यालय में पदस्थ अधिकारी कैसे परेशान करते है इस बात का खुलासा सामाजिक कार्यकर्ता निशा देशमुख ने किया है पढ़िए क्या है पूरा मामला

समाजिक कार्यकर्ता निशा देशमुख ने छत्तीसगढ़ राज्य के महिला आयोग के जन सूचना अधिकारी के कार्य व्यवहार पर प्रश्न उठाकर यह गंभीर आरोप लगाया है कि, महिला आयोग से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लेने के हेतु आवेदन करने वाली महिलाओं से, आवेदन शुल्क महिला आयोग द्वारा नगद नहीं लिया जाता है और उन्हें पोस्टल आर्डर या शुल्क अदा करने के अन्य माध्यम से शुल्क अदा करने के लिए महिला आयोग के अधिकारियों द्वारा विधि विरूद्ध तरीके से मजबूर किया जाता है । जिसके कारण महिला आयोग में आने वाली व्यथित महिलाओं की व्यथा कम होने के बजाय बढ़ जाती है ।  व्यथित महिला को छत्तीसगढ़ महिला आयोग से वांछित सूचना लेने के लिए अंतिम उपाय के रूप में सुचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन करने के लिए मजबूर किया जाता है जिसके बाद व्यथित महिला जब सुचना के अधिकार के तहत आवेदन जमा करने जाती है तो सूचना के अधिकार के तहत आवेदन करने वाली महिला से नगद राशि प्राप्त कर शुल्क प्राप्ति रसीद प्रदान करने की व्यवस्था छत्तीसगढ़  महिला आयोग नहीं करता है परिणाम स्वरुप व्यथित महिला को वांछित दस्तावेजों और ...

मंच कला क्षेत्र के छह प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों को अकादमी फेलो (अकादमी रत्न) के रूप में चुना गया, वर्ष 2022 और 2023 के लिए 92 कलाकार संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारों के लिए चुने गए, 80 युवा कलाकारों को वर्ष 2022 और 2023 के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार दिया जाएगा

  संगीत , नृत्य और नाट्य कला से संबंधित संगीत नाटक अकादमी , नई दिल्ली की जनरल काउंसिल , नेशनल ने 21 और 22 फरवरी 2024 को नई दिल्ली में आयोजित अपनी बैठक में सर्वसम्मति से मंच कला के क्षेत्र में छह ( 6) प्रतिष्ठित हस्तियों को अकादमी फेलो (अकादमी रत्न) के रूप में चुना है। अकादमी की फेलोशिप सबसे प्रतिष्ठित और अपूर्व सम्मान है। यह फेलोशिप किसी भी खास समय में 40 व्यक्तियों को दी जाती है। जनरल काउंसिल ने वर्ष 2022 और 2023 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (अकादमी पुरस्कार) के लिए संगीत , नृत्य , रंगमंच , पारंपरिक/लोक/जनजातीय संगीत/नृत्य/रंगमंच , कठपुतली और मंच कला में समग्र योगदान/छात्रवृत्ति के क्षेत्र से 92 कलाकारों का भी चयन किया। इस प्रकार चुने गए फेलो और पुरस्कार विजेता समग्र रूप से राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आते हैं। इसके अतिरिक्त ये ख्याति प्राप्त कलाकार संगीत , नृत्य , नाटक , लोक और जनजातीय कला , कठपुतली और संबद्ध रंगमंच कला रूपों आदि के रूप में मंच कला रूपों के संपूर्ण रूप को कवर करते हैं। अकादमी की जनरल काउंसिल ने वर्ष ...

लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार योजना केन्द्र/राज्य सरकारों और जिला संगठनों द्वारा किये गये असाधारण और अभिनव कार्यों को मान्यता देता है ,सरकार की ओर से 2019 से 2023 तक लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये 62 प्रधानमंत्री पुरस्कार दिये गये, 2023 योजना के तहत 16 पुरस्कार दिये जायेंगे

    ‘‘ लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023’’ पीएम पुरस्कार पोर्टल पर नामांकन जमा कराने की अंतिम तिथि 31 जनवरी 2024, सभी केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों , राज्य सरकारों , जिला कलेक्टरों को पीएम पुरस्कार पोर्टल पर नामांकन करना होगा लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार योजना केन्द्र/राज्य सरकारों और जिला संगठनों द्वारा किये गये असाधारण और अभिनव कार्यों को मान्यता देता है , सरकार की ओर से 2019 से 2023 तक लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये 62 प्रधानमंत्री पुरस्कार दिये गये , 2023 योजना के तहत 16 पुरस्कार दिये जायेंगे सरकार ने लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023 योजना की शुरुआत की है जिसे देशभर में सिविल सेवकों द्वारा किये गये अनुकरणीय कार्यो को स्वीकार करने , मान्यता देने और पुरस्कृत करने के लिये तैयार किया गया है। वर्ष 2023 के लिये निम्नलिखित योजनाओं के तहत जिलों के समग्र विकास में सिविल सेवकों द्वारा किये गये योगदान को मान्यता देने के लिये लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार य...

ई-साक्षी मोबाइल एप्लीकेशन, मोबाइल एप्लिकेशन सांसदों को उनकी प्रस्तावित परियोजनाओं की स्थिति और प्रगति पर त्वरित अपडेट प्रदान करके पारदर्शिता को प्रोत्साहन देगा और सांसदों और संबंधित अधिकारियों के बीच संचार को सुव्यवस्थित करेगा, जिससे सूचनाओं के अधिक कुशल आदान-प्रदान की सुविधा मिलेगी।

  सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय माननीय संसद सदस्यों और अन्य हितधारकों से निरंतर आधार पर नए सुझाव/अभ्यावेदन प्राप्त करता है और उनकी जांच करता है , जिसमें उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीएलएडी) योजना के अंतर्गत दिशानिर्देशों में सुधार के सुझाव भी सम्मिलित हैं। संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडी) योजना प्रत्येक संसद सदस्य को लोगों की स्थानीय आवश्यकतओं के आधार पर टिकाऊ सामुदायिक संपत्तियों के निर्माण पर बल देने के साथ विकासात्मक प्रकृति के कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम बनाती है। संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडी) ई-साक्षी मोबाइल एप्लिकेशन सुविधा और पहुंच प्रदान करता है , जिससे सांसदों को वास्तविक समय में परियोजनाओं को प्रस्तावित करने , निगरानी करने और देखरेख करने की अनुमति मिलती है , जो निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को बढ़ाता है , जिससे उभरती आवश्यकतओं या मुद्दों पर त्वरित प्रतिक्रिया सक्षम होती है। इसके अलावा , मोबाइल एप्लिकेशन सांसदों को उनकी प्रस्तावित परियोजनाओं की स्थिति और प्रगति पर त्वरित अपड...

निर्माण श्रमिकों के सर्वांगीण उत्थान के लिए शासन योजनाओं का संचालन कर रहीं जिनकी जानकारी हितग्राही श्रमिक तक पहुंचना आवश्यक है... इसलिए इनको जान लीजिए...

  निर्माण श्रमिक अर्थात कौन ? निर्माण श्रमिक से तात्पर्य जो किसी भवन या निर्माण कार्य में कुशल, अर्द्ध कुशल या अकुशल श्रमिक के रूप में शारीरिक, पर्यवेक्षणिक, तकनीकी अथवा लिपिकीय कार्य भाड़े या पारिश्रमिक के लिए करता हो। नियोजन के निबन्धन प्रकट हों या विवक्षित हो, किन्तु प्रबंधकीय या प्रशासकीय हैसियत में नियोजित व्यक्ति इसमें सम्मिलित नहीं है। कहां होता पंजीयन ? हितग्राही पंजीयन भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार अधिनियम, 1996 के अंतर्गत प्रत्येक निर्माण श्रमिक का पंजीयन मंडल के द्वारा किया जाता है। पंजीयन हेतु अर्हताएं क्या है ? निर्माण श्रमिक के रूप में पंजीयन हेतु निर्धारित आयु सीमा 18 वर्ष से कम नहीं किन्तु 60 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। उल्लेखनीय हैे कि, हितग्राही श्रमिक द्वारा विगत एक वर्ष में भवन एवं अन्य सन्निर्माण श्रमिक के रूप में 90 दिवस कार्य करने संबंधी नियोजक / श्रमिक संघ / श्रम निरीक्षक द्वारा जारी प्रमाण पत्र अपलोड किया जाना अनिवार्य है। कहां होता हैं पंजीयन ? किसी भी लोक सेवा केन्द्र से श्रम विभाग के वेबसाईट पर ऑन-लाईन आवेदन कर सकते हैं। वेबसाईट लिंक अंत में दी गई जिस...

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