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सरकारी कार्यालय और कोर्ट की कार्यवाही के दौरान कुछ शब्द हम सुनते और इस्तमाल करते है पर इनके अर्थ और परिभाषा की जानकी हमें नहीं होती ऐसे कुछ शब्द .....

भारतीय विधि व्यवस्था में आम लोगों के सामने ऐसे बहुत से शब्द आते हैं, जो दो शब्द एक जैसे अर्थो के प्रतीत होते हैं, परंतु उन शब्दों के अर्थ बहुत भिन्न भिन्न होते हैं। कानूनी प्रक्रिया से दूर रहने वाले लोग या फिर ऐसे लोग जिनका न्यायालय इत्यादि से कोई काम नहीं रहा वह इन शब्दों से भ्रमित होते हैं। बहुत से लोग तो सारा जीवन उन शब्दों को पढ़ते, देखते और उपयोग करते रहते हैं, उसके पश्चात भी उन शब्दों के संबंध में उचित जानकारी नहीं रख पाते हैं। ये शब्द भ्रमित करने वाले होते हैं। आप जानकारी के अभाव में यह तय ही नहीं कर पाते कि इस व्यंजन के लिए यह शब्द होगा या फिर वह शब्द होगा, दो शब्दों के बीच भ्रम जैसा तत्व जन्म ले लेता है। कभी कभी बात भी शब्दों के बीच रह जाती है। सही अर्थ वाली बात हो ही नहीं पाती और उसके स्थान पर गलत अर्थ के शब्द को उपयोग में कर लिया जाता है। विधि के ज्ञान में विधि के शब्दों की उचित जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। शब्दों का ठीक ज्ञान होना चाहिए। आम व्यक्ति से लेकर विधि व्यवसायी को भी शब्दों के ठीक अर्थों और टर्मिनोलॉजी की आवश्यकता होती है। शमनीय और गैर शमनीय- ...

विधिक प्रक्रिया से किसी भी शासकीय विभाग के जन सूचना अधिकारी को सबक कैसे सिखायें ? अगर इस प्रश्न का उत्तर आप तलाश रहे है तो .... आपको यह लेख काम आ सकता है क्योकि ...? आपको इस पेज पर मिलेंगे 19 विषयों पर RTI आवेदन जो सूचना अधिकारी के सभी कार्यों की समीक्षा कर देंगे ...

विधिक प्रक्रिया से जन सूचना अधिकारी को सबक कैसे सिखाएं .. .        अगर इस प्रश्न का उत्तर आप तलाश रहे है तो .... आपको यह लेख काम आ सकता है लेकिन कैसे ...? जन सूचना अधिकारी को सबक सिखाने के लिए ... आपको तिन काम करने पड़ेंगे ...  वो क्या ? आपका पहला काम है... सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 को आपको विधिक दृष्टिकोण से समझना पड़ेगा         अब आपके मन में यह प्रश्न उठा होगा कि, यह धारा ४ क्या है  उत्तर – सूचना का अधिकार अधिनियम २००५ जिन – जिन शासकीय कार्यालयों पर लागु होता है उन “लोक  प्राधिकारी की बाध्यताओं” को इस धारा ४ में परिभाषित किया गया है          अब आपके मन में दूसरा प्रश्न यह उठा होगा की “लोक प्राधिकारी” का अर्थ क्या है ? उत्तर - सूचना का अधिकार अधिनियम २००५ की धारा २ (ज) में शब्द “ लोक प्राधिकारी ” को परिभाषित किया गया है उसके अनुसार (क) संविधान द्वार या उसके अधीन ; (ख) संसद द्वारा बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा ; (ग) राज्य विधान-मंडल द्वारा ...

शासकीय विभाग के सभी अभिलेखों को आम जनता की पहुँच में लाने के पदेन कर्तव्य को पूरा करने में विफल सूचना अधिकारी को सबक कैसे सिखाएं... इस आवेदन को MS word में कॉपी करें ... विभाग का नाम और आपका नाम पता टाइप करें ... प्रिंट करे ... और इस आवेदन को विभाग में जमा कर दीजिये ... तब जानकारी मिलेगी ...

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