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छत्तीसगढ़ में उप मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो गई है और उप मुख्यमंत्री टी.एस.सिंह देव ने केंद्रीय कांग्रेस के निर्णयानुसार अपनी नई भूमिका संभाल ली है... जिसके कारण छत्तीसगढ़ की राजनीति से ED की कार्यवाही का भय कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मन से हट जायेगा क्योंकि अब अगर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से किसी भी जांच कार्यवाही में पूछताछ होगी तब की स्थिति में उप मुख्यमंत्री का पद सभी जिम्मेदारी संभालने के लिए विधि सम्मत और प्राधिकृत विकल्प होगा लेकिन इसके अलावा भी छत्तीसगढ़ की राजनीतिक आबो-हवा में बहुत कुछ बदल जायेगा... पढ़िए क्या होंगे नए राजनीतिक बदलाव नीचे है राजनैतिक विश्लेषण

दिल्ली में कांग्रेस के थिंकटैंक ने ED की कार्यवाहियों को छत्तीसगढ़ की राजनीतिक गतिविधियों पर हावी होने से रोकने के लिए निर्णायक कदम उड़ाया है और छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी नेता टी.एस.सिंहदेव की एक पुरानी मांग को मान लिया है l उप मुख्यमंत्री के रूप में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री दावेदार होने के एक मात्र चर्चित नाम को कांग्रेस हाई कमान ने उप मुख्यमंत्री पद की मंजूरी दे दी है l जिसके बाद कांग्रेसी नेता टी.एस. सिंहदेव का राजनैतिक महत्व भी बढ़ गया है गौर तलब रहे की अगर अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विरुद्ध… कोई कार्यवाही यदि ED करेगी तो कांग्रेस के पास छत्तीसगढ़ में विधि मान्य विकल्प तैयार है इस बात का प्रामाणिक आश्वासन कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दिल्ली स्तर से दे दिया गया है l अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विकल्प अधिकृत तौर पर तैयार हो गया है क्योंकि उप मुख्यमंत्री के रूप में टी.एस.सिंहदेव ने अपनी पदेन जिम्मेदारी को अधिकृत तौर पर संभाल लिया है कांग्रेस हाई कमान के द्वारा उप मुख्यमंत्री के विषय पर लिया गया तथाकथित निर्णय जन सामान्य की जान...

छत्तीसगढ़ महिला आयोग के प्रताड़ना पूर्ण कार्य व्यवहार की शिकायत की गई !... जन सूचना अधिकारी के विरुद्ध की गई शिकायत में बताई गई व्यथा.... कैसे छत्तीसगढ़ महिला आयोग का जन सूचना अधिकारी व्यथित महिलाओं को और परेशानी में डालने वाला कार्य व्यवहार करता है... नगद आवदेन शुल्क नहीं लेकर वांछित जानकारी लेने के नागरिक अधिकार से महिलाओं को वंचित करता है महिला आयोग.... पढ़िए छत्तीसगढ़ महिला आयोग पर लगाया गया गंभीर आरोप का तकनीकी आधार और विधिक पहलू 👇🏾

श्रीमती किरणमयी नायक माननीय अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग के समक्ष उनके ही कार्यालय के प्रशासकीय प्रताड़ना पूर्ण कार्य व्यवहार की लिखित शिकायत समाज सेविका निशा देशमुख ने प्रस्तुत की है परिवाद प्रारूप वाले लेखन शैली में आयोग के जन सूचना अधिकारी के दमनकारी कार्य व्यवहार को सप्रमाण आयोग के सामने लाया गया है क्योंकि आयोग कार्यालय से व्यथित महिला आवेदकों को वांछित जानकारी लेने की कार्यवाही में जन सूचना अधिकारी अनावश्यक अड़चने पैदा करके महिलाओं को मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है उल्लेखनीय गंभीर आरोप इस शिकायत में यह भी लगाया गया है कि, व्यथित महिलाओं को जन सूचना अधिकारी अपने पदेन प्राधिकार का दुरुपयोग करके वांछित जानकारी लेने से वंचित करने के लिए पोस्टल आर्डर और बैंक चालान जमा करने के लिए मजबूर करता है और नगद आवेदन शुल्क अदा करने के नागरिक अधिकार से वंचित कर देता है जिसके कारण महिलाओं को पोस्ट ऑफिस और बैंक के अनावश्यक चक्कर काटने पड़ते है  जन सूचना अधिकारी के कपटपूर्ण कार्य व्यवहार के कारण व्यथित महिलाओं को 10 रु के आवेदन शुल्क को अदा करने के लिए कई 100 रु खर्च परिवहन...

मौका परस्त महिला नेत्री को पहचानिये….क्योंकि महिलाओं के सर्वांगीण विकास को बाधित करने वाली समस्याओं को चिन्हांकित करना जरूरी है और उसका निराकरण करना जनहित संरक्षण के लिए आवश्यक हो गया है... इसलिए पढ़िए महिला सुरक्षा पर विपरित प्रभाव डालने वाले व्यवहारिक घटक कौन से है और वे क्यों जिम्मेदार हैं :-

अगर आपके क्षेत्र में भी कोई महिला नेत्री जीत कर आई है या नेतागिरी करने के लिए लुभावने भाषण देकर स्व-घोषित जन प्रतिनिधि बन गई तो ऐसी महिला नेत्री के मंशा की वास्तविकता को जानने के लिए आप नीचे लिखे पांच दृष्टिकोण से महिला नेत्री के कार्य व्यवहार का आकलन करिए क्योंकि... बचाने के लिए और अपनी पूछ परख की स्थिति को कायम रखने के लिए पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था को बढ़ावा देती है क्योंकि पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था में महिलाओं को आगे आने का अवसर नहीं मिलता है । गौरतलब रहे कि मतलबी महिला नेत्री हमेशा इस चिंता में रहती है कि कोई प्रतिद्वंद्वी महिला नेत्री उसके राजनैतिक क्षेत्र में चुनौती देने के लिए आगे मत आ जाए । इसलिए मौका परस्त महिला नेत्री सदैव यह प्रयास करती रहती है की कोई भी दूसरी महिला घर से बाहर आकर राजनीतिक और सामाजिक गतिविधि में शामिल होने के लिए सुरक्षित महसूस न करे अतः महिला नेत्री महिला सुरक्षा के बारे में बात करने से बचाती है । जानती है की कामकाजी महिलाएं अधिक क्षमतावान होती है और अगर कामकाजी महिलाएं राजनीति में आयेंगी तो स...

क्या आपके जानाकारी में या आपके आस-पास ऐसा कोई स्कूल, कालेज, अस्पताल, शासकीय और गैर-शासकीय कार्यालय है… जिसमे विधिवत शिकायत समिति गठित नहीं की गई है …. अगर ऐसा है तो आपको आपकी जन भागीदारी देनी पड़ेगी क्योंकि शिकायत समिति के बगैर महिलाये असुरक्षित क्यों है…..? नीचे लिखा है विवरण

कार्यस्थल के नियोक्ता द्वारा अपने संगठन में लैंगिक उत्पीड़न के निवारण की व्यवस्था नहीं करना यह दिखाता है कि उस शासकीय विभाग या संगठन में लैंगिक उत्पीड़न को रोकने और नियंत्रित करने के मुद्दे को मान्यता या महत्व नहीं दिया जा रहा है और यह आपत्तिजनक कार्य व्यवहार इस बात की ओर इशारा करता है कि लैंगिक हिंसा और भेदभाव के कार्य व्यवहार को करने की अप्रत्यक्ष रूप की सहमती नियोक्ता दे रहा है ऐसी परिस्थिति को ध्यान न देना, पदेन कर्त्तव्यों की उपेक्षा किए जाने के रूप में देखा जाना चाहिए और महिला सुरक्षा को उपेक्षित करने वाले नियोक्ता को उसका पदेन कर्तव्य आप याद दिला सकते हैं ।  पत्र क्रमांक :-. दिनांक :- प्रति, श्रीमान जन सूचना अधिकारी कार्यालय  विषय :- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी अभिप्राप्त करने बाबत  संदर्भ :- कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न ( निवारण, प्रतिषेध, और प्रतितोष ) अधिनियम 2013 की धारा 4 आंतरिक परिवाद समिति का गठन के विधि निर्देशानुसार आपके कार्यालय में गठित...

पर्यावरण अधिकारी जवाब दो कचरा मामले का हिसाब दो – रिसाली निगम क्षेत्र के नगरीय ठोस अपशिष्ठ का मामला चिंताजनक स्थिति में है क्योंकि इस अपशिष्ठ का निपटान रिसाली निगम प्रशासन द्वारा नियमानुसार किया जा रहा है क्या ? यह विषय निगम कार्यवाहियों की पारदर्शिता पूर्ण कार्य व्यवहार के आभाव में कई शंकाओं के घेरे में है और…. रिसाली निगम क्षेत्र के लोक स्वास्थ्य पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालने का व्यथित करने वाला कारण बनकर जनहित संरक्षण के कई विषयों पर चर्चा परिचर्चा और आरोप प्रत्यारोप करने के मामलों का विवादास्पद स्वरूप ले चुका है गौर तलब रहे की कचरा मामला रिसाली की शहर सरकार को जनता की अदालत के कटघरे में खड़ा कर रहा है…. इसलिए पढ़िए लोक स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव डालने वाले विसंगतिपूर्ण निगम कार्यवाहियों के विचारणीय पहलू… जिसे रिसाली निगम क्षेत्र के लोगों को जानना और समझना आवश्यक है

रिसाली निगम के गठन के उपरांत निगम क्षेत्र से जनित होने वाले नगरीय ठोस अपशिष्ठ का निपटान कैसे किया गया यह प्रश्न रिसाली के मतदाताओं के लिए अनुत्तरित है क्योंकि रिसाली के मतदाताओं को इस विषय की जानकारी रिसाली निगम के पर्यावरण अधिकारी ने स्पष्ट विधि निर्देश होने के बाद भी नहीं दी है और ना ही इस महत्वपूर्ण जानकारी का उल्लेख रिसाली निगम के वार्षिक प्रतिवेदन का हिस्सा बनाए जाने की जानकारी तक… रिसाली निगम आयुक्त ने सर्व साधारण की पहुंच स्थापित करने का कोई इंतजाम किया है जबकी "पारदर्शी निगम कार्यवाहियों" की अपेक्षा रिसाली के मतदाता हमेशा से करते रहें हैं l गौरतलब रहे की रिसाली निगम क्षेत्र से बड़े पैमाने पर जनित होने वाले नगरीय ठोस अपशिष्ठ का विनिष्टिकरण करने के लिए निगम कोष से एक बड़ी राशि प्रतिमाह आहरित की जाती है और प्रत्येक वार्ड से उत्पन्न होने वाले कचरे के निपटान के लिए खर्च की जाती है लेकिन प्रत्येक वार्ड के ठोस अपशिष्ठ निपटान के लिए होने वाले निगम खर्चे के बारे में जब भी जनता अपने वार्ड पार्षद से सवाल करती है तो वार्ड पार्षद इस ...

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