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विगत कई दिनों से बीएसपी के भवनों के लिज मामले में भिलाई का महापौर आत्मस्तुति वाली लेख सामग्रियों को विधि द्वारा अमान्य तरीके से प्रचारित व प्रसारित करवा रहा है इन मंघड़नत लेख सामग्री के कारण बीएसपी कर्मी भ्रमित हो रहे है और कई प्रकार की मानसिक तनाव का अनुभव करने को मजबूर हो रहें है जिसका समुल निरकरण करने की पहल निशा देशमुख ने कर दी है पढ़िए कैसे ?

समाजसेविका निशा देशमुख ने बताया कि, आजकल राजनीति में अपनी जगह बनाएं रखने के लिए जन प्रतिनिधि स्वयं का गुणगान स्वयं ही करते हैं और अपनी छोटी सी उपलब्धि को इतना महिमा मंडित करके बताते हैं कि मानो  जैसे ! जनता के पास सोचने समझने की शक्ति ही खत्म हो गई है विगत दिनों से भिलाई के महापौर ने भी ऐसा ही कुछ किया है और सोषियाल मीडिया में फैली ऐसी विश्लेषणात्मक पोस्ट का खंडन नहीं किया है जिसमें भिलाई महापौर के द्वारा बीएसपी लिज मामले में की गई कार्यवाहियों का अतिशयोक्तिपूर्ण और  हास्यास्पद वर्णन किया गया है उल्लेखनीय है कि भिलाई के महापौर ने ऐसी मनघड़ंत खबरों का खंडन नहीं किया है जिससे प्रतीत होता है कि भिलाई के महापौर ने आत्मस्तुति की अभिलाषा से ऐसी मनघड़ंत विषयवस्तु वाली पोस्ट को वायरल करने के लिए भाड़े पर सेवारत लोगो की मदद ली है । भिलाई के महापौर के नाम से भिलाई इस्पात संयंत्र के भवनों के लिज मामले में कुछ खबरनुमा पोस्ट सोशीयल मीडिया पर वायरल हुए हैं लेकिन इन पोस्ट में इस बात की जानकारी प्रकाशित और प्रसारित नहीं की गई है कि इन पोस्ट के विषय वस्तु को भिलाई निगम...

बीएसपी लिज मामले ने नया कानूनी मोड़ ले लिया है क्योंकि भिलाई के महापौर और अन्य लोक सेवकों को नोटिस भेजकर... बीएसपी लिज मामले में जवाब तालाब करने की कार्यवाही प्रारंभ की गई है पढ़िए क्या है पूरा मामला 👇

भिलाई इस्पात संयंत्र के लिज मामले में लोकसेवकों के विधि विपरित कार्य व्यवहार के विरूद्ध समाज सेवक मदन सेन व अन्य दो ने भिलाई के महापौर व अन्य लोकसेवकों को नोटिस दी है । यह नोटिस द.प्र.स 195 की विधि विहित प्रक्रिया में आरोप-प्रत्यारोप कार्यवाही करने के पूर्व लिज मामले की वस्तुस्थिति जानने हेतु दी गई है… नोटिस पाने वाले  महत्वपूर्ण प्राधिकारी यें हैं :- श्रीमान महापौर, नगर पालिक निगम भिलाई श्रीमान कलेक्टर जिला दुर्ग  श्रीमान मुख्य कार्यकारी अधिकारी, भिलाई इस्पात संयंत्र  श्रीमान पंजीयक जिला दुर्ग श्रीमान आयुक्त, नगर पालिक निगम भिलाई श्रीमान आयुक्त, नगर पालिक निगम रिसाली  भिलाई इस्पात संयंत्र के आवासीय और व्यवसायिक प्रयोजन के भवनों की लीज आबंटन कार्यवाही से संबंधित सभी शासकीय महत्व के सभी निर्णय / आदेश / निर्देश /  दस्तावेजों तक सर्व साधारण की पहुंच स्थापित करने बाबत सक्षम प्राधिकारी व लोक सेवकों के संज्ञानार्थ विषय पर नोटिस प्रेषित की गई है । नोटिस प्राप्त करने वाले लोकसेवकों की जानकारी में नोटिस कर्ताओं ने यह लाया ...

भिलाई का आवासीय लीज मामला नियम कानून और प्रशासनिक असहमतियों के उलझनों से बाहर नहीं निकल पा रहा है इसलिए विधि सम्मत वास्तविकता के धरातल पर स्थापित नहीं हो पा रहा है क्योंकि भिलाई में एक ऐसे नेतृत्व का अभाव विगत वर्षों से रहा है जो बीएसपी आवासीय प्रयोजन के लीज मामले को बहुआयामी विधिक दृष्टिकोण से सक्षम न्यायालय और प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर सके… अतः ऐसे विधिक घटकों और उनकी विधि निर्देशित भूमिका को हम सभी को जानना और समझना अपेक्षित है l जिस पर भिलाई का महापौर पर्दा डालने का नाकाम प्रयास करता नजर आ रहा है l

सर्वविहित है कि, भारत देश के सभी भूमि का स्वामित्व प्राधिकार भारत के केंद्र शासन में निहित है छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन के स्वामित्व वाली भूमि भी इसी केंद्रीय शासन के निर्णायक प्राधिकार का हिस्सा कहे जाने पर किसी का दो मत नहीं हो सकता है इसलिए भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए बनाए गए आवासीय भवनों और भूखंडो का प्रथम मालिकाना अधिकार केंद्र शासन में अधिष्ठित होने की विधिमान्यत भी सुस्पष्ट है लेकिन यह भी विधि अपेक्षित है कि, केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी उसमें राज्य शासन और स्थानीय नगरीय निकाय अर्थात भिलाई नगर निगम व इसी तारतम्य में स्थानीय प्रशासन अर्थात कलेक्टर दुर्ग के पद में निहित निर्णायक प्राधिकार के आधार पर भिलाई इस्पात संयंत्र के लीज मामले में जो निर्णय आएगा वह विधि मान्य होगा l गौर तलब रहे की उक्त उल्लेखित सभी प्राधिकारियों द्वारा लिए जाने वाले समासंयोजित निर्णय को कोई भी न्यायालयीन चुनौती नहीं दे पायेगा लेकिन इस मामले में भिलाई का महापौर खामोश है और कोई भी अधिकृत जानकारी जनता से साझा नहीं कर रहा है इसका क्या क...

केंद्रीय शिक्षण मंत्रालयाने जिल्ह्यांमधील शालेय शिक्षण व्यवस्थेची कामगिरीनिहाय वर्गवारी करणाऱ्या निर्देशांकाचा, 2020-21 आणि 2021-22 या वर्षांसाठीचा, एकत्रित अहवाल केला जारी

  केंद्रीय शिक्षण मंत्रालयाने जिल्ह्यांमधील शालेय   शिक्षण व्यवस्थेची कामगिरीनिहाय वर्गवारी करणाऱ्या निर्देशांकाचा , 2020-21 आणि 2021-22 या वर्षांसाठीचा , एकत्रित अहवाल केला जारी   केंद्रीय शिक्षण मंत्रालयाच्या , शालेय शिक्षण आणि साक्षरता विभागाने ( DoSE&L) आज , जिल्ह्यांमधील शालेय शैक्षणिक व्यवस्थेची कामगिरीनिहाय वर्गवारी करणाऱ्या निर्देशांकाचा , 2020-21 आणि 2021-22 या वर्षांसाठीचा , एकत्रित अहवाल ( PGI-D) जारी केला. या अहवालात , जिल्हा स्तरावरील शालेय शिक्षण व्यवस्थेच्या सर्वंकष विश्लेषणासाठी निर्देशांक तयार करून , या शिक्षण व्यवस्थेच्या कामगिरीचे मूल्यांकन केले जाते.   भारतीय शिक्षण व्यवस्था , जगातील सर्वात मोठ्या शिक्षण व्यवस्थांपैकी एक सुमारे 14 लाख 90 हजार शाळा , 95 लाख शिक्षक आणि विविध सामाजिक-आर्थिक पार्श्वभूमी असलेले सुमारे 26 कोटी 50 लाख विद्यार्थी यांना सामावून घेतलेली भारतीय शिक्षण व्यवस्था , जगातील सर्वात मोठ्या शिक्षण व्यवस्थांपैकी एक आहे .   शालेय शिक्षण आणि साक्षरता विभागाने   या आधी , राज्यांसाठी शिक्षण व्यवस्थेचा कामगिरी ...

समान नागरिक संहिता के बारे अगर आप भी अपने सुझाव या विचार सक्षम प्राधिकारियों के सामने रखना चाहते है तो आप भी ऑनलाइन आपके विचार रख सकते जानिए कैसे ? पूरी जानकारी नीचे दी गई है

आपके विचार और सुझाव बताईये ! विधि एवं न्‍याय मंत्रालय के अंतर्गत संचालित  विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के बारे में लोगों और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों से विचार और सुझाव देने का अनुरोध किया है l समान नागरिक संहिता के संबंध में सरकार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सूचित किया है कि, भारत का 22वां विधि आयोग अन्य बातों के साथ-साथ समान नागरिक संहिता की जांच कर रहा है, जो कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा भेजा गया एक संदर्भ है। प्रारंभ में भारत के 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता विषय की जांच की थी और दिनांक 07.10.2016 की एक प्रश्नावली के साथ अपील और इसके बाद दिनांक 19.03.2018, 27.03.2018 तथा 10.4.2018 की सार्वजनिक अपील/नोटिस के माध्यम से सभी हितधारकों के विचार आमंत्रित किये थे। इसी के अनुसरण में, आयोग को बड़ी संख्या में प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हुई हैं। 21वें विधि आयोग ने 31.08.2018 को "परिवार कानून में सुधार" पर परामर्श पत्र जारी किया था।  चूंकि "परिवार कानून में सुधार" परामर्श पत्र के जारी होने की तारीख से तीन वर्ष से अध...

विगत दिनों एक महिला वकील से दो पुरुष वकीलों ने न्यायालय के परिसर में मारपीट करके चोट ग्रस्त कर दिया और न्यायालयीन सुरक्षा व्यवस्था की असलियत को सभी के सामने ला दिया…. जिसके कारण छत्तीसगढ़ की प्रशासकीय व्यवथा पर प्रश्नचिन्ह लग गया है…. पढ़िए इस घटना से जुड़े व्यवहारिक पहलु 👇🏾.

एक सामान्य नागरिक के दृष्टिकोण से देखा जाए तो न्यायालय परिसर अपराधियों और कानून तोड़ने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करवाने का स्थान है जहां स्वाभाविक तौर पर बढ़ी सांख्य में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगो का जामावाड़ होता है और ऐसे आरोपियों के बीच महिला वकील अपनी प्रोफेशनल उपस्थिति देकर उन पक्षकारों के लिए आवश्यक सहायक विधिक सेवाएं देती है जो विधिक कार्यवाही प्रक्रिया के संचालन के लिए आवश्यक होती है लेकिन छत्तीसगढ़ के जांजगीर में एक महिला वकील के साथ न्यायालय परिसर में घटित मारपीट की घटना ने यह स्पष्ट कर दिया की छत्तीसगढ़ में महिला वकील की सुरक्षा का क्या हाल है इसलिए यह प्रश्न उत्पन्न हो गया है की महिला वकीलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्राधिकृत जिम्मेदारी किसकी है  छत्तीसगढ़ की कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था को स्थापित करवाने वाली कानूनी प्रक्रियाओं और व्यवथाओँ को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने वाले शासकीय प्राधिकारी अर्थात महिला बाल विकास अधिकारी महज खानापूर्ति करने वाली कार्यवाही कर रहे है और कामकाजी महिलाओं को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना स...

दुर्ग की राजनैतिक पहचान को अविभाजित मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर दिल्ली तक बनाने वाले… युग पुरुष "स्व. मोतीलाल वोरा" जी की छवि का अनुभव… आज भी विधायक अरुण वोरा के रूप में दुर्ग के कांग्रेस कार्यकर्ता करते है l शायद इसीलिए आज भी दुर्ग में वोरा परिवार के निवास से जो भी स्थानीय राजनीतिक निर्णय लिए जाते है… उन निर्णयों को बहुमत वाले जनमत का साथ मिलता है… इसी का वर्तमान उदाहरण है दुर्ग निगम के उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत है… जिसके राजनीतिक दृष्टिकोण से विचारणीय महत्वपूर्ण पहलू अग्रलिखित है 👇🏾

दुर्ग निगम के एक वार्ड का उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल कर ली है वैसे तो वार्ड उप चुनाव में कांग्रेस की जीत एक स्वाभाविक जीत है क्योंकि… # प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है  # दुर्ग की शहर सरकार भी कांग्रेस की है और  # विधायक अरुण वोरा भी कांग्रेस से ही है तथा # जिस सीट से कांग्रेस पार्टी चुनाव जीती है  वह वार्ड कांग्रेस की मजबूत पकड़ वाली सीट है l # जिस पर कांग्रेस पार्टी कई बार जीत दर्ज करा चुकी है और भाजपा को हरा चुकी है l लेकिन वर्तमान में कांग्रेस ने यह वार्ड चुनाव तब जीता है । जब युग पुरुष "स्व. मोतीलाल वोरा" जी एक मार्गदर्शक के रूप में हमारे साथ नहीं है l आगामी कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं l जिसमे दुर्ग से विधायक प्रत्याशी के रूप में वर्तमान विधायक अरुण वोरा अद्वितीय प्रत्याशी होंगे इसमें शायद ही किसी को शंका होगी और अगर किस को ऐसी शंका होगी तो वह उप चुनाव परिणाम के साथ शंका समाधान व तर्क संगत आधार ले चुकी है बावजूद इसके  राजनीतिक दृष्टिकोण कहता है कि, दुर्ग निगम के उप चुनाव में ...

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