भिलाई का आवासीय लीज मामला नियम कानून और प्रशासनिक असहमतियों के उलझनों से बाहर नहीं निकल पा रहा है इसलिए विधि सम्मत वास्तविकता के धरातल पर स्थापित नहीं हो पा रहा है क्योंकि भिलाई में एक ऐसे नेतृत्व का अभाव विगत वर्षों से रहा है जो बीएसपी आवासीय प्रयोजन के लीज मामले को बहुआयामी विधिक दृष्टिकोण से सक्षम न्यायालय और प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर सके… अतः ऐसे विधिक घटकों और उनकी विधि निर्देशित भूमिका को हम सभी को जानना और समझना अपेक्षित है l जिस पर भिलाई का महापौर पर्दा डालने का नाकाम प्रयास करता नजर आ रहा है l
सर्वविहित है कि, भारत देश के सभी भूमि का स्वामित्व प्राधिकार भारत के केंद्र शासन में निहित है छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन के स्वामित्व वाली भूमि भी इसी केंद्रीय शासन के निर्णायक प्राधिकार का हिस्सा कहे जाने पर किसी का दो मत नहीं हो सकता है इसलिए भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए बनाए गए आवासीय भवनों और भूखंडो का प्रथम मालिकाना अधिकार केंद्र शासन में अधिष्ठित होने की विधिमान्यत भी सुस्पष्ट है लेकिन यह भी विधि अपेक्षित है कि, केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी उसमें राज्य शासन और स्थानीय नगरीय निकाय अर्थात भिलाई नगर निगम व इसी तारतम्य में स्थानीय प्रशासन अर्थात कलेक्टर दुर्ग के पद में निहित निर्णायक प्राधिकार के आधार पर भिलाई इस्पात संयंत्र के लीज मामले में जो निर्णय आएगा वह विधि मान्य होगा l गौर तलब रहे की उक्त उल्लेखित सभी प्राधिकारियों द्वारा लिए जाने वाले समासंयोजित निर्णय को कोई भी न्यायालयीन चुनौती नहीं दे पायेगा लेकिन इस मामले में भिलाई का महापौर खामोश है और कोई भी अधिकृत जानकारी जनता से साझा नहीं कर रहा है इसका क्या करना है वर्तमान परिस्थिति में यह शोध का विषय बन गया है ?
भारत के केंद्र सरकार ने इस्पात उत्पादन के लिए केंद्रीय इस्पात मंत्रालय का सृजन कर इसके तहत स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड जो की भारत का एक महारत्न भी है इसे बनाकर वित्त पोषित भी किया है और अन्य आधारभूत आवश्कताओं जैसे इस्पात संयंत्र स्थापना और उसके कर्मचारियों के रहने की सुविधाओं की स्थापना की है तथा इस्पात संयंत्र के लिए आवश्यक कच्चे माल का इंतजाम अर्थात लोह अयस्क और अन्य खदानों से उत्खनन अनुमति भी स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड को केंद्र सरकार ने प्रदान की है इसलिए विधिक दृष्टिकोण से वर्तमान में स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड भिलाई इस्पात संयंत्र के आवासीय भवनों के मालिकाना हक हस्तांतरण कार्यवाही में स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड को शामिल करके निर्णय लेगा क्योंकि आवासीय भवनों की अनुपयोगिता के पक्ष में स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड के अभिमत के आधार पर लिया जाने वाला निर्णय तर्क संगत साबित होगा और केंद्र विशेषकर कांग्रेस पार्टी जैसे प्रमुख विपक्षी पार्टियों को मान्य होगा लेकिन कांग्रेस से पार्षद टिकट लेकर भिलाई निगम का महापौर पद हासिल करने वाले जन प्रतिनिधि इस मामले में चुप्पी क्यों साधे हुए है इस कूटनीति को समय रहते सभी को समझ लेना चाहिए
केंद्र शासन और केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के अधीन संचालित स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड के प्रस्ताव पर छत्तीसगढ़ राज्य शासन को अपना अभिमत और निर्णय देकर यह तय करने की महत्वपूर्ण निर्णायक भूमिका निभानी है की भिलाई के जो लोग बीएसपी के आवासीय भवन में निवास करना चाहते है उनको आवासीय प्रयोजन का प्राधिकार दिया जना चाहिए की नहीं यह निर्णय राज्य शासन को करना है क्योंकि राज्य शासन का प्राधिकृत कर्तव्य है वह इस सुरक्षा दृष्टिकोण से विचार करेगा की बीएसपी के जिन आवास भवनों की लीज आबंटन कार्यवाही की जानी है ऐसे भवन निवास योग्य व सुरक्षित है क्या ? यहां यह उल्लेखनीय है कि बीएसपी के मकान अपनी आयु पूरी कर चुके है और वर्तमान में इनकी स्थिति क्या है इसका काल्पनिक आकलन करना खतरनाक साबित होगा इस मामले पर भिलाई के महापौर का अधिकृत मत अभी सर्व साधारण के सामने नहीं आया है l
छत्तीसगढ़ शासन ने प्रदेश की नगरीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए विधिवत नीति निर्धारण भी किया है और समय समय पर आवश्यकता अनुसार इनमे संशोधन करके तथाकथित तर्क संगत प्रावधान भी किया है जिसकी जानकारी आम आदमी से ज्यादा स्वाभाविक तौर पर महापौर को होगी लेकिन भिलाई का महापौर लीज आबंटन कार्यवाही के इस महत्वपूर्ण विषय की आधारभूत जानकारी जन सामान्य से साझा करने की पदेन जिम्मेदारी पूरी नहीं कर रहा है जिसके कारण कई शंकाओं को पनपने का अवसर मिल रहा है l
दुर्ग जिले के राजस्व विभाग एवं नगर तथा ग्राम निवेश विभाग ने कलेक्टर दुर्ग को बीएसपी आवासीय भवनों के संबंध में जो प्रतिवेदन भेजा है उसमे उल्लेखित विषयवस्तु क्या है ? इस बात की जानकारी जन सामान्य को नहीं है जबकि यह विषयवस्तु लीज होल्ड कार्यवाही प्रक्रिया की आधारभूत जानकारी है l उल्लेखनीय है कि, बीएसपी द्वारा प्रदत की जाने वाली लीज के धारकों को इस विषय को गंभीरता से लेकर अपना निर्णय लेना चाहिए क्योंकि अगर दुर्ग जिले के राजस्व विभाग एवं नगर तथा ग्राम निवेश विभाग ने ऐसे निर्णय या अभिमत शासन को दिए है जो बीएसपी के आवासीय भवनों को मानव उपभोग के लिए खतरनाक बताते है तो लीज धारकों के लिए यह जानना आवशय है क्योंकि लीज धारक इस महत्वपूर्ण जानकारी के आभाव में लीज होल्ड संबंधित कोई भी अपना निर्णय लेंगे तो वह निश्चित रूप से लीज धारकों के लिए नुकसान दायक साबित होगा l उल्लेखनीय है कि, भिलाई का महापौर इस महत्वपूर्ण जानकारी को जनता से साझा नहीं करके अपनी नैतिक जिम्मेदारी पूरी नहीं कर रहा है l
आवासीय और व्यवसाईक प्रयोजन के बीएसपी भूखंडों के लीज धारक जब अपना लीज अनुबंध करेंगे और अनुबंध समयावधि पूरी होने पर लिज नवानीकरण प्रक्रिया में भिलाई नगर निगम और बीएसपी प्रबंधन के सक्षम प्राधिकारी लीज डीड पंजीयन प्रक्रिया में किस प्राधिकृत हैसियत से कार्यवाही करेंगे भिलाई के महापौर को यह स्पष्ट कर देना चाहिए क्योंकि भिलाई का महापौर जिस राजनैतिक पार्टी से जुड़ा है उस पर शहर सरकार और राज्य सरकार दोनो ही स्तरों पर जनता ने विश्वास जताया है लेकिन यह लेख लिखे जाने तक भिलाई के महापौर ने बीएसपी आवासीय लीज मामले में उपरोक्त उल्लेखित जानकारी को अधिकृत तौर पर जनता की जानकारी में नहीं लाया है जिसका कारण जो कुछ भी होगा लेकिन एक बात तो तय है की लीज धारक इस कारण से अनभिज्ञ रहेंगे तो उन्हें कितना नुकसान उठाना पड़ेगा यह तो आने वाला समय बतायेगा
इन दिनों ED चर्चा में है क्योंकि ED की कार्यवाहियां सुर्खियों में है छत्तीसगढ़ के शासकीय अधिकारी भी ED की कार्यवाही के दायरे में है और अविभाजित भिलाई निगम क्षेत्र में ED की गतिविधियां अक्सर देखने सुनने को मिलती है इसलिए जानिए क्या है ED इस लिंक पर है पूरी जानकारी 👇🏾👇🏾👇🏾