विगत कई दिनों से बीएसपी के भवनों के लिज मामले में भिलाई का महापौर आत्मस्तुति वाली लेख सामग्रियों को विधि द्वारा अमान्य तरीके से प्रचारित व प्रसारित करवा रहा है इन मंघड़नत लेख सामग्री के कारण बीएसपी कर्मी भ्रमित हो रहे है और कई प्रकार की मानसिक तनाव का अनुभव करने को मजबूर हो रहें है जिसका समुल निरकरण करने की पहल निशा देशमुख ने कर दी है पढ़िए कैसे ?
बीएसपी भवनों के लिज मामले में भिलाई महापौर के जो बयान सोशीयल मीडिया पोस्ट पर पढ़ने को मिले वे मनघड़ंत और कलापनिक प्रतीत हुए अगर भिलाई महापौर के द्वारा लिज रजिस्ट्रेशन के विषय पर व्यक्त किए हैं तो उनका कोई वैधानिक आधार भी होगा अगर ऐसा है तो इससे संबंधित नियम, अधिनियम और धाराओं का उल्लेख कर भिलाई के महापौर को जनता के समक्ष व्यक्त करना चाहिए क्योंकि भिलाई का लिज मामला भिलाई के महापौर की राजनीतिक दुकान चलाने से कहीं अधिक बीएसपी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के आशियाने से अधिक जुड़ा है । इसलिए यह विषय भावनात्मक जुड़ाव वाला मामला भी है ।
लिज मामला जन सामान्य के लिए बेहद महत्व का है इसमें होने वाला कोई भी बदलाव बीएसपी से जुड़े व्यक्ति के लिए कई दृष्टिकोण से प्रभावित करने वाला होता है क्योंकि जिस मकान को बीएसपी कर्मी ने लिज पर लेकर निवास बनाया है उसके उपयोग प्रयोजन और निर्णायक आधार बदलने से लीजधारी और उसके परिवार को प्रभावित करता है इसलिए भिलाई के महापौर को बीएसपी लिज से संबंधित बयानों को अपने कार्यालय के जन संपर्क अधिकारी के माध्यम से जन सामान्य तक पहुंचाना चाहिए क्योंकि तभी जनता के प्रतिनिधि महापौर के ऐसे निर्णयों को विधिक चुनौती देने के अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं ।
भारतीय संविधान में महापौर के पद को गरिमापूर्ण महत्व संस्थापित किया गया है जिसका बोध भिलाई के महापौर को होना अपेक्षित है उल्लेखनीय है कि भिलाई के महापौर जो कथन और बयान करते हैं उसका अधिकृत आधार होना चाहिए क्योंकि महापौर का बयान नियमों को बदल सकते है और निगम क्षेत्र में रहने वाले सभी मतदाताओं को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्रभावित करते इसलिए भिलाई के महापौर को चाहिए कि उसने लिज मामाले मे जो भी बयान दिए हैं उसको विधिवत तौर पर जन संपर्क विभाग के माध्यम से जारी करें ।