दुर्ग की राजनैतिक पहचान को अविभाजित मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर दिल्ली तक बनाने वाले… युग पुरुष "स्व. मोतीलाल वोरा" जी की छवि का अनुभव… आज भी विधायक अरुण वोरा के रूप में दुर्ग के कांग्रेस कार्यकर्ता करते है l शायद इसीलिए आज भी दुर्ग में वोरा परिवार के निवास से जो भी स्थानीय राजनीतिक निर्णय लिए जाते है… उन निर्णयों को बहुमत वाले जनमत का साथ मिलता है… इसी का वर्तमान उदाहरण है दुर्ग निगम के उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत है… जिसके राजनीतिक दृष्टिकोण से विचारणीय महत्वपूर्ण पहलू अग्रलिखित है 👇🏾
दुर्ग निगम के एक वार्ड का उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल कर ली है वैसे तो वार्ड उप चुनाव में कांग्रेस की जीत एक स्वाभाविक जीत है क्योंकि…
# प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है
# दुर्ग की शहर सरकार भी कांग्रेस की है और
# विधायक अरुण वोरा भी कांग्रेस से ही है तथा
# जिस सीट से कांग्रेस पार्टी चुनाव जीती है
वह वार्ड कांग्रेस की मजबूत पकड़ वाली सीट है l
# जिस पर कांग्रेस पार्टी कई बार जीत दर्ज करा चुकी है और भाजपा को हरा चुकी है l
लेकिन वर्तमान में कांग्रेस ने यह वार्ड चुनाव तब जीता है । जब युग पुरुष "स्व. मोतीलाल वोरा" जी एक मार्गदर्शक के रूप में हमारे साथ नहीं है l
आगामी कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं l जिसमे दुर्ग से विधायक प्रत्याशी के रूप में वर्तमान विधायक अरुण वोरा अद्वितीय प्रत्याशी होंगे इसमें शायद ही किसी को शंका होगी और अगर किस को ऐसी शंका होगी तो वह उप चुनाव परिणाम के साथ शंका समाधान व तर्क संगत आधार ले चुकी है बावजूद इसके राजनीतिक दृष्टिकोण कहता है कि, दुर्ग निगम के उप चुनाव में कांग्रेस के ऐसे प्रत्याशी को जीत मिली है जिसका परिवार वोरा परिवार का पारिवारिक मित्र है और इस परिवार के सदस्य पूर्व में इसी इसी वार्ड के सीट से निर्वाचित पार्षद रहे हैं l इसलिए विधानसभा चुनावों के ठीक पहले यह उप चुनाव छत्तीसगढ़ कांग्रेस के साथ-साथ विधायक अरुण वोरा की राजनीतिक पृष्ठभूमि को स्थायित्व देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण था l जिसे कांग्रेस प्रत्याशी ने जीतकर दुर्ग विधानसभा में कांग्रेस के लिए सकारात्मक ऊर्जा को प्रतिस्थापित कर दिया है l
कांग्रेस में शामिल हुए नेता राजेंद्र साहू का दुर्ग की वर्तमान राजनीति में उल्लेखनीय स्थान है यह कहे जाने पर शायद ही किसी को दो मत होगा स्वाभाविक है की विधायक अरुण वोरा भी कांग्रेस कार्यकर्ता राजेंद्र साहू के उल्लेखनीय राजनीतिक भूमिका से असहमत नहीं होंगे l उल्लेखनीय है कि, जब दुर्ग का उप चुनाव घोषित हुआ तो सभी को यह उम्मीद थी कि राजेंद्र साहू समर्थक कोई प्रत्याशी आवशय ही उप चुनाव के मैदान में होगा लेकिन अनापेक्षित तौर पर ऐसा नहीं हुआ गौरतलब रहे कि कांग्रेस पार्टी से पूर्व सहमति लिए बिना एक प्रत्याशी ने स्वयं को कांग्रेस समर्थक अभिलिखित कर नामांकन दाखिल किया लेकिन विधायक अरुण वोरा ने जिला कांग्रेस पदाधिकारी और संभवतः कांग्रेस नेता राजेंद्र साहू से सहमति बनाकर तथाकथित कांग्रेस प्रत्याशी का नाम वापिस करवाने में अहम भूमिका निभाकर वार्ड चुनाव में काग्रेस प्रत्याशी को जीतवाकर अपने राजनैतिक कौशल का परिचय दिया साथ ही विधायक होने की पदेन जिम्मेदारी पूरी की और कांग्रेस के नेता राजेंद्र साहू के समर्थकों ने भी विधायक अरुण वोरा के साथ मेहनत करके उल्लेखनीय योगदान दिया I
दुर्ग के उप चुनाव में जिला कांग्रेस से विधिवत पूर्व सहमति लिए बिना जिस पार्षद प्रत्याशी ने अपना नामांकन दाखिल किया था उसने अपना नाम निर्वाचन के समय वापस लेकर कांग्रेस को सहयोग किया और कांग्रेस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करवाने में मदद भी की जिसके कारण भाजपा प्रत्याशी को सीधे कांग्रेस प्रत्याशी का सामान करना पड़ा उल्लेखनीय है की विधायक अरुण वोरा और कांग्रेस नेता राजेंद्र साहू ने अभूतपूर्व तालमेल बनाकर स्वघोषित कांग्रेस प्रत्याशी का नाम वापसी करवाकर दुर्ग में विधायक अरुण वोरा की मजबूत राजनीतिक स्थिति साबित की और कांग्रेस के अंदर के उन घटकों की कूटनीति को निष्फल कर दिया जिन्होंने कांग्रेस से बागी प्रत्याशी खड़े करवाने का नाकाम प्रयास किया l
दुर्ग में भाजपा के महापौर को कई वर्षो तक कांग्रेस हरा नहीं पा रही थी उल्लेखनीय है कि, भाजपा महापौर के कार्यकाल में विधायक अरुण वोरा सक्रिय राजनीति का हिस्सा थे और कांग्रेस का महापौर बनाने के प्रयास में विफल हो रहे थे लेकिन जैसे ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई तो उसने महापौर निर्वाचन प्रक्रिया में बदलाव कर दिया जिसका फायदा कांग्रेस को हुआ और दुर्ग में कांग्रेस का महापौर बन गया l गौरतलब रहे कि दुर्ग के वार्ड में हुए चुनाव में भाजपा पुनः हार गई और भाजपा मुख्यालय को इस बात का कटु अनुभव हासिल हुआ की भाजपा के नेताओं के द्वारा स्थानीय लोगो और भाजपा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा किए जाने का फायदा विधायक अरुण वोरा को मिल गया क्योंकि विधायक के मिलनसार व्यवहार के कारण दुर्ग का उप चुनाव कांग्रेस जीत पाई है ।
भाजपा के पूर्व महापौर और कांग्रेस के वर्तमान महापौर का राजनैतिक तालमेल वैसे तो लोकतांत्रिक व्यवहार शैली की अपेक्षा अनुसार अनुकरणीय लगता है लेकिन इससे दुर्ग भाजपा को जो नुकसान हो रहा है और आगामी विधानसभा चुनाओं में दुर्ग कांग्रेस के कामकाज को विपरित तौर पर प्रभावित करने वाला है l उल्लेखनीय है कि पूर्व व वर्तमान महापौर का एक मत प्रदर्शित करने वाले कार्य व्यवहार के कारण जो वर्तमान राजनैतिक माहौल बन रहा है इससे दुर्ग शहर में सभी वाकिफ है स्वाभाविक ही है की पूर्ण कालिक राजनीति में सक्रिय रहने वाले अरुण वोरा और दुर्ग जिला कांग्रेस भी इस मामले को जन सामान्य से कहीं अधिक बेहतर तरीके से जानते हैं शायद इसीलिए दुर्ग निगम के उप चुनाओँ को जीतने के लिए कांग्रेस ने जो रण नीति बनाई थी उसमे दुर्ग के भाजपा और कांग्रेस के पूर्व महापौरों की उल्लेकनीय भूमिका जन सामान्य को नजर नहीं आई इसलिए दुर्ग के पूर्व और वर्तमान महापौर प्रतिक्रिया विहीन भूमिका में नजर आ रहे हैं l
कांग्रेस के पास आगामी विधानसभा में विधायक अरुण वोरा का कोई विकल्प नहीं है क्योंकि दुर्ग के महापौर और प्रदेश स्तरीय कांग्रेस नेता राजेंद्र साहू तथा ऐसे ही अन्य नाम अब विधायक अरुण वोरा से पिछड़ गए है l दुर्ग निगम के उप चुनाव में विधायक अरुण वोरा के नेतृत्व में हासिल कांग्रेस की एक तरफा जीत के बाद महत्वहीन हो गए हैं क्योंकि विधायक अरुण वोरा की मजबूत राजनीतिक स्थिति के आगे दुर्ग कांग्रेस में कोई विकल्प जिला कांग्रेस के पास नहीं है और भाजपा के पास विधायक अरुण वोरा को राजनैतिक चुनौती देने वाला सर्व सहमति वाला नाम अभी तक चर्चा में भी नही आया है इसलिए वर्तमान में दुर्ग विधानसभा की विकल्पहीन स्थिति विधायक अरुण वोरा के लिए संतोषप्रद कही जा सकती है लेकिन कब नया राजनीतिक बदलाव आयेगा यह तो आने वाला समय बतायेगा l
दुर्ग शहर की विधानसभा सीट का महत्व प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर तो है लेकिन भाजपा के सांसद और कांग्रेस के मुख्यमंत्री इन दोनो स्तरों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए दुर्ग शहर की विधानसभा एक ऐसा राजनीतिक क्षितिज है जिस तक पहुंचना उनके लिए कोई महत्व नहीं रखता है l इसलिए यह कहा जा सकता है की विधायक अरूण वोरा की टिकट अगली विधानसभा के लिए निर्विरोध है । वहीं दूसरी ओर वर्तमान परिस्थिति में दुर्ग में ऐसे कोई विधायक प्रत्याशी सक्रिय नहीं है जो दुर्ग विधानसभा सीट अपने दम पर जितने का राजनैतिक सामर्थ्य रखता हो और बड़े राजनीतिक ओहदेदारों के लिए विश्वसनीय हो इसलिए दुर्ग में राजनीतिक बदलाव कैसे आएगा यह प्रश्न ! अनुत्तरित सवाल तब तक बना रहेगा जब तक दुर्ग से बाहर की कोई राजनैतिक इच्छाशक्ति छत्तीसगढ़ का दुर्ग जीतने की पहल नहीं करेगी l
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए एक अभितपूर्व पहल की गई है जिसमें कार्यकर्ताओं को अवसर देने के लिए आवश्यक प्रयास किए जा रहे है युवा नेतृत्व को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम को जानने के लिए पढ़िए पूरी जानकारी इस लिंक पर है 👇🏾👇🏾👇🏾http://meradrushtikon.blogspot.com/2023/05/blog-post.html