छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल का मुख्य कार्य प्रदेश में होने वाले प्रदूषण को विधिवत नियंत्रित करना और ऐसी प्रदूषण गतिविधियों को रोकना और समूल ख़त्म करना है जिसकी अनिवार्य आवश्यकता आम आदमी को नहीं है… लेकिन छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का सदस्य सचिव अपने पदेन कर्तव्य को पूरा करने की मंशा से कार्य करता नजर नहीं आ रहा है… जो कि व्यथनीय है… पढ़िए लोकस्वास्थ्य संरक्षण के विषय…
पर्यावरण संरक्षण का विधिक पहलू है कि ऐसे घातक प्रदूषण करने वाले कारकों और प्रदूषणकारी तत्वों को जनित करने वालों की प्रावधानुसार पंजीकृत कर उनकी जवाबदेही तय करना… इसलिए हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने नितांत आवश्यकता की पूर्ति हेतु पर्यावरण मंत्रालय की स्थापना कर पर्यावरण मंत्री को पदेन जिम्मेदारी दी है कि… वह लोकस्वास्थ्य का संरक्षण करें.. लेकिन छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंत्री प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्या रहा है यह प्रश्न अनुत्तरित है …
प्रदूषण नियंत्रण हेतु छत्तीसगढ़ राज्य में जिम्मेदार प्राधिकारी कौन है और पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या कर रहा है..?
प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राज्य के सर्वोच्च संगठन होने के नाते छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की योजना तैयार करता है और उसके निष्पादन हेतु जिम्मेदार है। मण्डल पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए उच्च टैक्नॉलाजी और बेहतर प्रबंधन को विकसित करने और कार्यान्वित करने हेतु प्रतिबद्ध भी है। राज्य में जल स्त्रोतों एवं वायु गुणवत्ता पर सतत् निगरानी रखना एवं उसको स्वच्छ बनाए रखना छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का मुख्य अनुपालनीय स्थापना उद्देश्य है। औद्योगिक ईकाईयों से उत्सर्जन और प्रदूषण की ऑनलाईन निगरानी व्यवस्था संचालित कर उच्च प्रदूषणकारी उद्योगों को 17 प्रकार की श्रेणीयों में बांटा कर उसकी सतत निगरानी करना मंडल की जिम्मेदारी है और छत्तीसगढ़ में होने पर्यावरण प्रदूषण के नियंत्रण के लिए एक बेहतर कार्य योजना तैयार कर मंडल के प्रशासकीय कार्यों में पारदर्शिता लाना छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव का पदेन कर्तव्य है लेकिन विडंबना है कि छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल अपना प्रशासकीय कार्य विधि अपेक्षित कार्यवाही प्रक्रिया में पूरा करने के मामले में पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं करवाकर विसंगतिपूर्ण परिस्थितियां उत्पन्न कर रहें है जो बेहद चिंता जनक है ।
अगर आपको अपने स्वास्थ्य की चिंता है छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का गठन उद्देश्य को जान लीजिए!
राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का गठन पर्यावरण विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के आदेश दिनांक 25 जुलाई 2001 के द्वारा जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 4 के तहत किया गया है। इस मंडल के मुख्य निर्णायक एवं जिम्मेदार प्राधिकारियों अध्यक्ष और सदस्य सचिव पद पर पदस्थ लोकसेवक है जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल अंतर्गत निम्नलिखित अधिनियमों / नियमों में प्रदत्त दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है:-
- जल (प्रदूषण, निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974
- वायु (प्रदूषण, निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
- परिसंकटमय और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन एवं सीमा पार संचलन) नियम, 2016
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट नियम, 2016
- ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
- अपशिष्ट प्लास्टिक नियम, 2016
- फ्लाई ऐश के उपयोग पर जारी अधिसूचना सितम्बर, 1999
- बैटरी (प्रबंधन एवं हथालन) नियम, 2001
- ई.आई.ए. नोटिफिकेशन, 2006
- जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के प्रावधानों के अंतर्गत उद्योगों एवं संस्थाओं को कमशः जल एवं वायु सम्मति प्रदान करना।
- राज्य में स्थित प्रदूषणकारी उद्योगों में जल एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्था करवाना एवं प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्थाओं के संचालन पर निगरानी रखना।
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अतंर्गत बनाये गए विभिन्न नियमों यथा खतरनाक अपशिष्ठ (प्रबंधन, हथालन और सीमा पार संचालन) नियम, 2008 का अनुपालन करवाना।
- नगरीय ठोस अपशिष्ठ (प्रबंधन एवं हस्तन) नियम, 2000, जीव चिकित्सा अपशिष्ठ (प्रबंधन एवं हस्तन) नियम, 1998, का अनुपालन करवाना।
- अपशिष्ट प्लास्टिक (प्रबंधन और प्रहस्तन) नियम 2011, फ्लाई ऐश के उपयोग पर जारी अधिसूचना सितम्बर, 1999, का अनुपालन करवाना।
- बैटरी (प्रबंधन एवं हथालन) नियम, 2001 एवं ई.आई.ए. नोटिफिकेशन, 2006 आदि के प्रावधानों का पालन कराना।
- छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा सम्पादित कार्य के परिणाम स्वरूप जल एवं वायु सम्मति लेने वाले पक्षकारों / आवेदकों द्वारा अदा की जाने वाली राशि का अंदाजा आप अग्रलिखित आंकड़ों से लगा सकते है ।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के प्रावधानों के अंतर्गत उद्योगों एवं संस्थाओं को कमशः जल एवं वायु सम्मति प्रदान की जाती है। विगत 1 जनवरी 2022 से 31 दिसम्बर 2022 तक मंडल द्वारा घोषित की गई जानकारी के अनुसार मंडल को सम्मति शुल्क के रूप में रू 1238.70 /- लाख तथा नवीनीकरण शुल्क के रूप में रू 3598.99/- लाख प्राप्त हुए। जो कि अपने आप में बड़ी रकम है इसलिए विचारणीय है कि इतनी बड़ी रकम की वित्तीय कोष स्थिति क्या है यह प्रश्न पारदर्शिता के आभाव में अनुत्तरित है और शाखाओं को जन्म दे रहा हैं लेकिन मंत्री महोदय क्यों प्रतिक्रिया विहीन हैं ।
गौरतलब रहे कि, छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित प्रदूषणकारी उद्योगों में जल एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्था करवाना एवं प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्थाओं के संचालन पर सतत निगरानी रखना मंडल के अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव का पदेन कर्तव्य है लेकिन उक्त उल्लेखित अधिनियमित नियमों के प्रावधानों के अंतर्गत छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव ने नियमानुसार जो वार्षिक प्रतिवेदन, प्रदूषण कारक घटकों का समीक्षा प्रतिवेदन और खतरनाक कचरे तथा अपशिष्ट घटकों के विनिष्टिकरण एवं नियंत्रण की जो कार्य योजना बनाई है इन तीनों विषयों को पारदर्शिता के दायरे में लाने के पदेन कर्तव्य सुनिश्चित नहीं करके प्रशासकीय अपराध किया जा रहा है जिस पर विभागीय मंत्री द्वारा संज्ञान लिया जाना अपेक्षित है ।
लेखक एवं विचारक अमोल मालुसरे 🙏 पर्यावरण संरक्षण के लिए आपका सहयोग एवं प्रतिक्रिया अपेक्षित है ।