छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के प्रोफेसर और विद्यार्थियों के लिए गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण स्थापित करने के लिए… विगत दिनों शासन आदेश जारी किया गया है… उल्लेखनीय है कि, यह शासन आदेश सामाजिक कार्यकर्ता निशा देशमुख के द्वारा किए गए पत्र व्यवहार की प्रतिक्रिया में जारी किया गया है… जिसमें निर्देशित किया गया है कि, उच्च शिक्षण संस्थानों में आंतरिक शिकायत समिति का गठन किए जाने के उपरांत कार्यशाला एवं अभिविन्यास कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाय… पढ़िए पूरा विवरण….
छत्तीसगढ़ शासन ने उच्च शिक्षा विभाग ने महिला सुरक्षा और गरिमा स्थापित करने वाले अधिनियम और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ के सभी महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि, वें अपने कार्यस्थल पर विधिवत आंतरिक शिकायत समिति का गठन कर… समिति सदस्यों एवं सभी अधिकारी, कर्मचारी, प्राध्यापकों एवं छात्रों के लिए कार्यशाला एवं अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन करे ।
उच्च शिक्षा विभाग के…
शासनादेश जारी करने पर आभार व्यक्त किया गया
महिला सुरक्षा एवं संरक्षण विषयों पर कार्य करने वाली सामाजिक संस्थाओं ने छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश का स्वागत किया है और इस आदेश को महिलाओं को उनके अधिकार दिलवाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाला बताया है ।
सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता एवं सामाजिक अंकेक्षक निशा देशमुख ने शासनादेश के विषयवस्तु को महत्वपूर्ण बताया
छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा जारी आदेश पर निशा देशमुख ने छत्तीसगढ़ शासन का आभार व्यक्त किया और कहा कि उच्च शिक्षा देने वाले कार्यस्थल पर विधिवत कार्यान्वयन करने वाली आंतरिक शिकायत समिति होगी तो कर्मचारियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को सुरक्षा और गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण तो मिलेगा ही… इसके साथ-साथ भावी पीढ़ी जो की आज विद्यार्थी है उन्हें इस बात की जानकारी मिलेगी कि हम सार्वजनिक क्षेत्रों में सुरक्षित एवं गरिमापूर्ण कामकाजी व्यवस्था कैसे स्थापित कर सकतें है और लैंगिक उत्पीड़न और भेदभाव जैसे विकृति को हम पर हावी होने से कैसे व्यवहारिक तौर पर रोक सकते है ।
उत्प्रेरक एवं सामाजिक कार्यकर्ता राखी मालुसरे ने शासनादेश के कार्यान्वयन को जन सामान्य की व्यक्तिगत जिम्मेदारी बताया
छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा उच्च शिक्षा परिसरों को लैंगिक उत्पीड़न मुक्त करवाने की पहल कर जारी किए गए शासनादेश का स्वागत कर… राखी मालुसरे ने कहा कि शासनदेश का वास्तविक कार्यान्वयन हम सभी को जिम्मेदारी है… पालक होने के नाते हमें अपने बच्चो को आंतरिक शिकायत समिति की कार्यशाला और अभिविन्यास कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रेरित करना चाहिए और… स्वयं भी कार्यशाला में उपस्थिति दर्ज करवाकर उच्च शिक्षण संस्थानों से लैंगिक उत्पीड़न जैसी विकृत मानसिकता को समूल ख़त्म करने में अपना नागरिक योगदान देना चाहिए।
अधिवक्ता यामिनी मैथिल ने शासनादेश कार्यान्वयन को प्रबंधन, अधिकारियों कर्मचारियों के संगठन तथा छात्र संघ की जिम्मेदारी बताया…
श्रम अधिकार और संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाली अधिवक्ता यामिनी मैथिल ने बताया की शासनादेश में कार्यशाला और अभिविन्यास कार्यक्रम को महत्व दिया गया है जिसके कारण अधिकारी, कर्मचारी और छात्र संघ सभी को लैंगिक उत्पीड़न निवारण कानून कि जानकारी मिलेगी जिससे स्वाभाविक तौर पर जन जागरूकता आयेगी वर्तमान में कानूनी जानकारी के आभाव में लोग अपनी व्यथा और उत्पीड़न की शिकायत करने की मानसिक स्थिति में नहीं होते है लेकिन अब उच्च शिक्षा स्तर पर कार्यशाला और अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित होने से सभी को नियम कानून की जानकारी मिलेगी जिससे बदलाव आयेगा ।
क्यों जरूरी था लैंगिक उत्पीड़न रोकने का आदेश ?
लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए पुलिस व्यवस्था का उपयोग व्यवहारिक नहीं है क्योंकि कार्यस्थल पर सभी लोग किसी न किसी विशेष प्रयोजन से जाते हैं और आपसी सहयोग की अपेक्षा से कार्य व्यवहार करते है ऐसे में कुछ लोगों का आपत्तिजनक व्यवहार तब तक लोग सहने को मजबूर होते रहते हैं जब तक आरोपी अपनी अंतिम हदें को लांघता नहीं है लेकिन जब तक पुलिस शिकायत की ऐसी स्थिति आती है तब तक पीड़ित को असहनीय मानसिक वेदना सहन करनी पड़ती हैं और ऐसी विपरित स्थिति को रोकने के लिए लैंगिक उत्पीड़न निवारण कानून के तहत आंतरिक परिवाद समिति गठित करने और उसकी नियमित बैठक तथा कार्यशाला व अभिविन्यास कार्यक्रम के आयोजन का प्रावधान विधि द्वारा किया गया है जो की छत्तीसगढ़ शासन के शासनादेश के बाद कागजी खानापूर्ति से बाहर निकलकर कार्यान्वित होगा ।
बहुत संघर्ष और कानूनी कार्यवाही की जानकारी एकत्र करने पर आया है आदेश !
वैसे तो लैंगिक उत्पीड़न निवारण अधिनियम लागू हुए वर्षो हो गाएं है लेकिन इसको अमल में लाने के लिए जागरूक महिलाएं राष्ट्रीय स्तर पर लड़ाई लड़ रहीं है जिनमें से जनजागृक्त लाने का कार्य करने वाली राखी मालुसरे विधिक जानकारी संकलित व प्रकाशित कर संयोजक एवं उत्प्रेरक के रूप राष्ट्रीय पहचान रखती है और निशा देशमुख भी संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता है जिनकी पहचान लैंगिक उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं के हित रक्षण के लिए न्यायालयीन परिवाद दायर करने वाली परिवादी के तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर है । गौर तलब रहे कि निशा देशमुख ने छत्तीसगढ़ में विगत भूपेश बघेल की सरकार कार्यकाल में भी ऐसे आदेश निकले जाने के लिए शासन स्तर पर लिखापढ़ी की लेकिन तब प्रदेश के कांग्रेस की सरकार ने महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करवाने की शासकीय जिम्मेदारी नहीं निभाई लेकिन अब स्थिति बदल गई है छत्तीसगढ़ शासन ने महिला सुरक्षा सुनिश्चित करवाने की जिम्मेदारी पूरी कर आंतरिक शिकायत समिति के गठन और कार्यान्वयन को नियमानुसार करने का निर्देश जारी कर दिया है । जो की छत्तीसगढ़ शासन द्वारा की गई स्वागत योग्य पहल है ।
👇👇👇👇💥💥💥👇👇
अवश्य पढ़िएगा : मौका परस्त महिला नेत्री को पहचानिये….क्योंकि महिलाओं के सर्वांगीण विकास को बाधित करने वाली समस्याओं को चिन्हांकित करना जरूरी है और उसका निराकरण करना जनहित संरक्षण के लिए आवश्यक हो गया है... इसलिए पढ़िए महिला सुरक्षा पर विपरित प्रभाव डालने वाले व्यवहारिक घटक कौन से है और वे क्यों जिम्मेदार हैं :- इस लिंक पर पूरा विषय 👇👇👇 क्लिक करें ।
https://meradrushtikon.blogspot.com/2023/06/blog-post_25.html