विद्यमान संसाधनो को अर्जित या सृजित किए जाने के बाद उन संसाधनों का आकड़ात्मक विवरण किस पब्लिक डोमेन पर सर्व साधारण के लिए प्रकाशित है ?
आपदा प्रावधान हेतु आवश्यक संसाधनों को अर्जित करने और सृजित करने के लिए बनाई गई योजना किसके प्राधिकार में है ?
आपदाओं के प्रभावी प्रबंधनों के लिए क्या हमने व्यवहारिक कार्ययोजना बनाई है ?
जैसे - जैस कोरोनावायरस का संक्रमण प्रकोप पूरी दुनिया को अपने चंगुल में लेता जा रहा है वैसे - वैसे रोजाना हमारी चिंता बढ़ती जा रही है विकसित देशों के आंकड़े भयभीत करने वाले है गौरतलब रहे की महामारी प्रकोप कलावधी कितनी होगी यह अनुमान लगाना आज मनुष्य के बस में नहीं है उल्लेखनीय है कि विश्व स्वस्थ्य संगठन जैसी प्रभावी शक्ति भी सभी मोर्चों पर प्रश्नचिन्ह का सामना कर रही है ऐसी स्थिति में सीमित संसाधनों वाले हमरे देश को अपनी कार्यनीति वास्तविकता और व्यवहारिकता के दायरे में रहकर बनाने की आवश्यकता है क्योंकि आपदा का प्रभावी प्रबंधन करने में अगर हमने थोड़ी सी भी चूक की तो बहुत बड़ी संख्या में हमे अपने नागरिकों की जान गवाकर कीमत चुकानी पड़ेगी इसलिए आवश्यक है कि आपद्दाओं के प्रभावी प्रबंधन के लिए अतिउत्साह और उतावलेपन कि कार्यशैली पर विराम लगाकर हमे दुरागामी सोच के साथ रणनीति बनानी पड़ेगी और इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित कराना पड़ेगा
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आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू है परन्तु प्रबंधन तंत्र का अस्तित्व नदारत क्यो है ? |
कार्मिक का गठन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आपातकालीन व्यवस्थाओं के साथ संचालित कि चुनौतियां क्या - क्या है ?
आज हमारा कार्मिक तंत्र आपात काल से निपटने की लड़ाई प्रथम मोर्चे पर संभाले हुए है हमारी कार्मिक शक्ति पहले से ही अपर्याप्त है वर्तमान चिंताजनक स्थिति यह है कि अगर हमने अपनी कार्यनीति का नियोजन समय रहते व्यवहारिक दृष्टिकोण से नियोजित नहीं किया तो हमारे कर्मवीर जो इस महामारी से प्रथम मोर्चे को संभाले हुए है वे थक जाएंगे और उनकी कार्यक्षमता दिनोदिन कम होती जाएगी और सबसे भयंकर स्थिति तब हमारे सामने आ जाएगी जब हमारे सफाई कर्मियों को अतिरिक्त बोझ के कारण आराम करने का अवसर नहीं मिलेगा और उनके स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ने के कारण उनकी अनुपस्थिति हमे नई चुनौतियों का सामना करने को मजबुर कर देंगी हमारा आपदा प्रबंधन तंत्र इस विषय में क्या कर रहा है और उसकी आगामी रणनीति क्या है वर्तमान में यह सर्वपरी विचारणीय पहलू है गौरतलब रहे की यह विषय तो अभी शासकीय नोट शीट तक सीमित है लेकिन जल्द ही आम जानता इस प्रश्न को लेकर स्थानीय प्रशासन को कटघरे में खड़ा करने लगेगी तब क्या होगा ?
प्रशिक्षण प्राप्त कर्मचारी और स्वयं सेवकों का समन्वय करने के लिए हम क्या कर रहे है ?
आज की परिस्थिति यह है कि चारो ओर अफरा - तफरी है और प्रत्येक नगरीय निकायों के कर्मचारी और समाजसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता अपने विवेक और समझ के अनुसार अपना योगदान इस महामारी से निपटने के लिए दे रहे है कटुसत्य यह है कि वास्तविकता के धरातल पर इस तरह से दिए जाने वाला योगदान निष्फल होता नजर आ रहा है क्योंकि जब हमे इस शक्ति बल कि वकाई जरूरत होगी तब निश्चित तौर पर हमारी यह ताकत अधूरी कार्यक्षमता की स्थिति का सामना करते नजर आएगी जिसका कारण यह है कि प्रशिक्षण प्राप्त कर्मचारी और समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों का आपसी तालमेल नहीं बैठा है इन दोनों शक्तियों ने इस लड़ाई के लिए तात्कालिक कार्य योजना बनाई है जो अल्पसमय में अपना अस्तित्व खो देगी अतः नितांत आवश्यकता महसूस की जा रही है कि आपसी तालमेल के साथ महामारी को नियंत्रित करने की व्यवहारिक कार्यवाही की जाए जिससे पैसा और शक्ति दोनों का तर्कसंगत नियोजन संभव हो सकेगा
छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय आपदा प्रबंधन के लिए जो कार्य कर रहे है वे वर्तमान परिस्थिति में संक्रमित मरीजों के आंकड़ों के तुलनात्मक आधार पर संतोषजनक है लेकिन नगरीय निकायों की आपदा प्रबंधन कार्योजना उनकी वेब साइट से नदारत है यह स्थिति क्या संकेत दे रही है यह सभिको समझना पड़ेगा
अमोल मालुसरे - विश्लेषक एवं समाज सेवक