एकलव्य शाला योजना आशा की किरण है क्योकि ...
- आदिम जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए केंद्र सरकार ने बनाई है "महत्वाकांक्षी एकलव्य शाला योजना" ?
- अब शासकीय पदों की अपेक्षित शैक्षणिक व तकनिकी आहर्ता अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को हासिल करना आसान हो गया है
- केंद्र और राज्य सरकार के प्रशासकीय तालमेल से संचालित होने वाली एकलव्य शाला अनुसूचित जनजाति के छात्रों को दिलवाएगी मुख्य धारा से जुड़ने अवसर
एकलव्य विद्यालय योजना का पहला चरण सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा कर रहा है लेकिन इसके संचालन और व्यस्थपन की प्रक्रिया क्या व्यवहारिक है ?
आदिवासी आवासीय विद्यालय की स्थापना की परिकल्पना भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने कि है और इस परिकल्पना को वास्तविकता की धरातल पर लाने के लिए एकलव्य आवासीय विद्यालय नामक योजना को स्थापित किया गया इस महत्वाकांक्षी योजना को भारत सरकार ने अपने जनजाति कार्य मंत्रालय के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वित भी किया है आदिवासी छात्रों के सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह योजना बढ़ी कारगर साबित हो रहे है अपने शुरावती दौर में ही इस योजना को लगभग सभी राज्य सरकारों का सहयोग और समर्थन मिल गया है इसलिए यह योजना अधिकांश राज्यों में क्रियान्वित होती भी दिख रहीं है लेकिन जैसे - जैसे इस योजना का क्रियान्वयन गति पकड़ रहा है और अनुसूचित जनजाति के बाहुल्य वाले क्षेत्रों में आवासीय शालाओं का संचालन प्रारंभ हो रहा है वैसे - वैसे इन आवासीय शालाओं के संचालन में कई व्यवहारिक अड़चने भी सामने रही है जो कि शाला संचालन प्रक्रिया को बाधित कर इस योजना पर विपरित प्रभाव भी डाला रहीं है इसलिए चिंताजनक विषय यह बन गया है कि जिस योजना को जानता से सराहना मिल रही ऐसी शासकीय योजना क्या संचालन और व्यवस्थापन कि व्यवहारिक प्रक्रिया के आभाव में कहीं बंद तो नहीं हो जाएंगी और आदिवासी छात्रों को मिलने वाले अवसर पर पूर्ण विराम तो नहीं लग जाएगा
अनुसूचित जनजाति को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने वाले प्रशासकीय सेतु की भूमिका निभाने वाली एकलव्य आवासीय शाला योजना का आधार स्तंभ अर्थात इसके शिक्षक कितने मजबूत है ?
आदिवासी छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए चलाई जा रही एकलव्य आवासीय विद्यालय की स्थापना किए जाने के बाद यह योजना अपने पहले पड़ाव पर तो अपेक्षाओं से कहीं अधिक अच्छी स्थिति में नजर आ रही है क्योंकि केंद्र शासन के साथ - साथ राज्यों ने भी एकलव्य आवासीय विद्यालय की परिकापना को अपनी जिम्मेदारी मानकर सहयोग, समर्थन और संचालन के यथा संभव प्रयास करके वास्तविक के धरातल पर खड़ा कर दिया है उल्लेखनीय है की अधिकांश केंद्रीय योजनाएं पार्टीगत राजनीति का शिकार होकर हकीकत का स्वरूप नहीं ले पाती है लेकिन एकलव्य आवासीय विद्यालय उन अपवादों में से एक है जिसको पार्टीगत राजनीति ने जकड़ कर विकसित होने से रोका है परन्तु इस महत्वाकांक्षी योजना को एक समस्या बुरी तरह प्रभावित कर रही है वह यह कि इस योजना के आधार स्तंभ अर्थात एकलव्य आवासीय विद्यालय के शिक्षकों की पदस्थापना की प्रक्रिया निराधार स्थिति में होने के करान लड़खड़ा रही है जिसके कारण जल्द ही यह परिस्थिति गंभीर स्वरूप ले लेगी क्योंकि कुछ शिक्षक अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए न्यायालय से आदेश भी ला चुके है इसलिए यह विषम और खिचतान वाली परिस्थिति एकलव्य आवासीय विद्यालय योजना के लक्ष्य को ध्वस्त कर सकती अतः अपेक्षित है कि केंद्र और राज्य सरकार को इस समस्या से निपटने का सार्थक हल समय रहते खोज लेना चाहिए
कहीं ऐसा ना हों की अनूसूचित जनजाति के उत्थान को पूरी करने वाली एकलव्य विद्यालय योजना अनियमितताओं के हवाले हो जाय और सरकारें मुखदर्शक बनी रहें ?
अनुसूचित जनजाति के क्षेत्रों को और अनुसूचित जनजाति के नागरिकों को विकास की मुख्यधारा से जोड़कर उनका सर्वांगीण विकास करने के लिए केंद्र और राज्य शासन बहुत से प्रयास कर रही है जनजाति कार्य मंत्रालय ने अनुसूचित जनजाति के स्वावलंबन के विषय पर उल्लेखनीय कार्य भी किए है और कई सराहनीय योजनाओं का कार्यान्वयन भी प्रारंभ किया है एकलव्य आवासीय विद्यालय योजना भी इसी प्रयास का दूरगामी परिणाम लेने वाला एक सशक्त माध्यम साबित हो रही है लेकिन आदिवासियों के उत्थान के लिए कार्यान्वयित यह महत्वाकांक्षी योजना अपने व्यवहारिक कार्य योजना के आभाव में केंद्र और राज्य सरकार का आपसी तालमेल भी बिगड़ रही है और इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि इस योजनाओं पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले कई असंतुष्ट शिक्षक न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को मजबूर हो रहे है इसलिए अपेक्षित है कि केंद्र और राज्य सरकार तालमेल बनाकर इस योजना के कार्यान्वयन में आने वाली अड़चनों का सार्थक निराकरण करेंहमारी वर्तमान शिक्षण व्यवस्था में शिक्षकों की भूमिका महज एक सेवाप्रदयकर्ता की होकर रह गई है इसलिए आवश्यक है कि शिक्षण व प्रशिक्षण प्रदान करने वाले लोगों को एकजुट होकर अपने नई सामाजिक भूमिका और अर्थोपार्जन पैमाना तय करना पड़ेगा तभी अतिथि शिक्षकों की समस्या का विधीमान्य हल मिलेगा
दृष्टिकोण - अमोल मालुसरे - समाज सेवक एवं राजनीतिक विश्लेषक
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