इस विभाग के ध्यान में लाया गया है, कि
सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत कई बार लोक प्राधिकारणों के पास ऐसी सूचना के लिए आवेदन प्राप्त होते है,
----० जो उन से संबंधित नहीं होती।
-----० कभी-कभी ऐसी सूचना मांगी जाती है, जिसका कुछ ही हिस्सा उस लोक प्राधिकरण के पास उपलब्ध होता है या कोई भी हिस्सा उसके पास उपलब्ध नहीं होता।
-----० ऐसे में सूचना का कुछ हिस्सा या पूरी सूचना किसी अन्य लोक प्राधिकरण या अन्य कई लोक प्राधिकरणों से संबंधित होती है ।
उक्त तीनों स्थितियों मे प्रश्न उठता है कि :-
ऐसे मामलों का निवारण किस प्रकार किया जाए।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6(1) में यह व्यवस्था की गई है कि सूचना प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति संबंधित लोक प्राधिकरण के लोक सूचना अधिकारी को आवेदन देगा।
-----० धारा 6(3) में यह व्यवस्था है कि यदि किसी लोक प्राधिकरण को ऐसी सूचना के लिए आवेदन प्राप्त होता है, जो दूसरे लोक प्राधिकरण द्वारा धारित है या जिसकी विषय-वस्तु किसी अन्य लोक प्राधिकरण के कार्यों से निकटतर रूप से संबंधित है,
-----० तो वह लोक प्राधिकरण जिसे आवेदन दिया गया है, आवेदन को संबद्ध लोक प्राधिकरण को अंतरित कर देगा।
-----० धारा 6 की उप-धारा (1) और उप-धारा (3) के प्रावधानों के ध्यानपूर्वक पठन से यह स्पष्ट होता है कि अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है कि सूचना मांगने वाला व्यक्ति अपना आवेदन 'संबंधित लोक प्राधिकरण' के लोक सूचना अधिकारी को संबोधित करे।
-----० फिर भी, ऐसे मामले हो सकते है, जिनमें सामान्य समझ वाला व्यक्ति यह माने कि उसके द्वारा मांगी गई सूचना उस लोक प्राधिकरण के पास उपलब्ध होगी, जिसको कि उसने आवेदन किया है, जबकि वास्तव में वह सूचना किसी अन्य लोक प्राधिकरण के पास होती है।
-----० ऐसे मामलों में आवेदक से गलत लोक प्राधिकरण के लोक सूचना अधिकारी को आवेदन करने की समझ में आने वाली गलती होती है,
किन्तु जहां आवेदक ऐसे लोक प्राधिकरण के लोक सूचना अधिकारी को ऐसी सूचना के लिए आवेदन दे, जो किसी भी सामान्य समझ वाले व्यक्ति को मालूम हो कि यह सूचना, उस लोक प्राधिकरण से संबंधित नहीं है, तो आवेदक संबंधित लोक प्राधिकरण' को आवेदन भेजने की अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करता।
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ऐसे मामलों में उत्पन्न होने वाली कुछ स्थितियाँ और उन स्थितियों में लोक प्राधिकारणों द्वारा अपेक्षित कार्रवाई का ब्यौरा नीचे दिया गया है।
(i) कोई व्यक्ति किसी ऐसी सूचना के लिए किसी लोक प्राधिकरण को आवेदन देता है, जो किसी दूसरे लोक प्राधिकरण से संबंधित है। ऐसे मामले में, आवेदन प्राप्तकर्ता लोक सूचना अधिकारी को आवेदन संबंधित लोक प्राधिकरण को अंतरित कर देना चाहिए और इसकी सूचना आवेदक को भी दे देनी चाहिए। यदि प्राप्तकर्ता लोक प्राधिकरण का लोक सूचना अधिकारी समुचित प्रयास करने के बाद भी संबंधित लोक प्राधिकरण का पता नहीं लगा पाए, तो उसे आवेदक को सूचित कर देना चाहिए कि मांगी गई सूचना उसके पास उपलब्ध नहीं है तथा उसे यह भी पता नहीं है, कि सूचना किस लोक प्राधिकरण के पास उपलब्ध होगी।
-----० यदि लोक सूचना अधिकारी के उक्त निर्णय के खिलाफ कोई अपील की जाती है, तो उसे यह सिद्ध करना होगा कि उसने संबंधित लोक प्राधिकरण के विवरण सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का पता लगाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए थे।
(ii) कोई व्यक्ति किसी लोक प्राधिकरण से ऐसी सूचना मांगता है, जिसका कुछ भाग उस लोक प्राधिकरण के पास है तथा शेष सूचना किसी दूसरे लोक प्राधिकरण' के पास उपलब्ध है। ऐसी स्थिति में, लोक सूचना अधिकारी को उपलब्ध सूचना दे देनी चाहिए तथा आवेदन की एक प्रति आवेदक को सूचित करते हुए संबंधित दूसरे लोक प्राधिकरण के पास भेज देनी चाहिए।
(iii) कोई व्यक्ति किसी लोक प्राधिकरण से ऐसी सूचना मांगता है, जिसका कुछ भाग उसके पास उपलब्ध है तथा शेष सूचना अन्य कई लोक प्राधिकरणों के पास है। ऐसी स्थिति में, आवेदन प्राप्तकर्ता लोक प्राधिकरण के लोक सूचना अधिकारी को अपने से संबंधित सूचना दे देनी चाहिए तथा साथ ही आवेदक को सलाह देनी चाहिए कि शेष सूचना प्राप्त करने के लिए वह संबंधित लोक प्राधिकरणों को अलग-अलग आवेदन करे। यदि मांगी गई सूचना का कोई भी हिस्सा आवेदन प्राप्तकर्ता लोक प्राधिकरण के पास उपलब्ध नहीं है, बल्कि सूचना के अलग-अलग हिस्से एक से अधिक दूसरे प्राधिकरणों के पास उपलब्ध है, तो लोक सूचना अधिकारी को आवेदक को यह सूचित कर देना चाहिए कि उस लोक प्राधिकरण के पास सूचना उपलब्ध नहीं है। साथ ही उसे आवेदक को यह सलाह देनी चाहिए कि सूचना प्राप्त करने के लिए वह संबंधित लोक प्राधिकरणों को अलग-अलग आवेदन दें। स्मरणीय है कि अधिनियम के अंतर्गत वही सूचना देना अपेक्षित है, जो पहले से विद्यमान हो तथा लोक प्राधिकरण द्वारा धारित हो या लोक प्राधिकरण के नियंत्रणाधीन धारित हो। सूचना का सृजन करना अधिनियम के कार्यक्षेत्र से बाहर है। ऐसी सूचना, जिसके हिस्से अलग-अलग लोक प्राधिकरणों के अधिकार क्षेत्र में हो, को एकत्र किया जाना सूचना सृजन माना जाएगा। अधिनियम के अंतर्गत ऐसा करना अपेक्षित नहीं है। ऐसे मामलों में सूचना का संबंध किसी 'लोक प्राधिकरण विशेष से नहीं होता, इसलिए अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (3) के अन्तर्गत आवेदन को अंतरित किए जाने का मामला नहीं बनता है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि उप-धारा (3) में दूसरे लोक प्राधिकरण' का संदर्भ एकवचन में है न कि बहुवचन में।
(iv) यदि कोई व्यक्ति किसी केन्द्रीय लोक प्राधिकरण से ऐसी सूचना के लिए आवेदन करता है, जो किसी राज्य सरकार या संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासन के लोक प्राधिकरण से संबंधित है, तो आवेदन प्राप्त करने वाले केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी को आवेदक को सूचित कर देना चाहिए कि सूचना संबंधित राज्य सरकार संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासन से प्राप्त की जाए। ऐसी स्थिति में, आवेदन को राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन को अंतरित करने की आवश्यकता नहीं है।
अनुरोध केवल एक विषयवस्तु से संबंधित होना चाहिए छत्तीसगढ़ में सूचना के लिये अधिनियम की धारा (6) के अंतर्गत अनुरोध के लिए नियम जानने के लिए यहां ### क्लिक कीजिए
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नोट :-
अगर आपका प्रश्न है कि :-
उक्त जानकारी को किस शासकीय दस्तावेज के आधार पर प्रकाशित किया गया है ?
उत्तर :- ( संदर्भ ग्रंथ की जानकारी )
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (The Right to Information, Act 2005) (छत्तीसगढ़ शासन के महत्वपूर्ण नियमों, आदेशों एवं निर्देशों सहित) सातवां संस्करण (वर्ष 2020) का प्रकाशन छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग द्वारा प्रकाशित किया गया जिसके पृष्ठ 54 पर यह जानकारी प्रकाशित है