हम अक्सर यह सुनते है की शासकीय जमींन पर अवैध कब्ज़ा हो गया या किसी ने शासकीय जमीन का सौदा कर दिया है ! ऐसे आश्चर्य चकित करने वाले मामलों का असल कारण है वार्ड की शासकीय भूमि का व्यौरा सार्वजनिक नहीं होना इस गंभीर विषय पर अमोल मालुसरे का दृष्टिकोण प्रस्तुत है जिस पर आपकी दावा-अप्पति और सुझाव सादर आमंत्रित है पढ़िए ....
पटवारी और तहसीलदार की पदेन कर्तव्य निष्ठा प्रश्नांक्तित क्यों है ?
नगर निगम क्षेत्र में बढ़ते जमीन विवाद और इन विवादों की वर्षों चलाने वाली परिवाद कार्यवाही जन सामान्य के कटु और व्यथित करने वाले अनुभव का हिस्सा है गौरतलब रहे कि, इस बात को कहे जाने में शायद ही किसी का दो मत होगा की इस परिस्थिति के लिए सीधे तौर पर तहसीलदार और पटवारी जिम्मेदार है क्योंकि तहसीलदार और पटवारी ने जिले के भू-अभिलेख में विधि वांछित प्रविष्टि कार्यवाही को विधि निर्देशानुसार क्रियान्वयन प्रक्रिया में पंजी प्रविष्टि नहीं कि है इसलिए नगर निगम क्षेत्र के सार्वजनिक प्रयोजन के भूखंडों का मालिकाना हक़ विवादों में फंसा हुआ है । वर्त्तमान में विडंबना पूर्ण स्थिति यह है की शासकीय मालिकाना हक़ वाली भूमियों के दस्तावेजों की प्रमाणित स्थिति का संधारण करके जन सामान्य को जानकारी में लाने का पदेन कर्तव्य पूरा करने का अहसास पटवारी और तहसीलदार ने अपने कार्य व्यवहार से जनता को नहीं करवाया है जिसके कारण तहसीलदार और पटवारियों के कार्यचरण को चुनौती देने के लिए जनता मजबूर हो रही है इसलिए समाज सेविका निशा देशमुख ने ऐसी गंभीर परिस्थिति की वस्तुस्थिति को जन सामान्य की जानकारी में लाने की विधिवत कार्यवाही प्रारंभ करके पहल कर दी है ।
भू-अभिलेख संधारण की आपत्तिजनक स्थिति की जवाबदेही कौन लेगा ?
नगर निगम क्षेत्र के भूखंडों की कीमत आसमान छू रहीं है जिसका फायदा स्ट्रीट टपोरी और गुंडे-मावली जमीन दलाल बनकर उठा रहे है उल्लेखनीय है कि, निगम क्षेत्र के बेशकीमती शासकीय जमीनों पर अनाधिकृत कब्ज़ा दिलवाने का माध्यम बनने वाले आपराधिक प्रकृति के लोग अपने स्थानीय गुंडागर्दी वाले प्रभाव के आधार पर शासकीय और सार्वजनिक प्रयोजन की भूमि पर अवैध कब्जा करवाने का कार्य कर रहे है जिसके कारण ये लोग मोटी कमाई कर रहे हैं चूंकि निगम के भू-अभिलेख जन-सामान्य की पहुंच में नहीं होने के कारण सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित निगम की जमीन पर बे-रोक-टोक अवैध कब्जा हो जाता है और जनता जानकारी के आभाव में अपने वार्ड की सार्वजनिक जमीनों पर अवैध कब्जे को रोक नहीं पा रही है । इसलिए समाज सेविका निशा देशमुख ने निगम कार्यालय और तहसीलदार तथा पटवारी कार्यालय से भू-अभिलेख की वस्तुस्थिति के दस्तावेजीक प्रमाण मांगकर शासकीय भूखंडों के संरक्षण का अभूतपूर्व कदम उठाया है |
शासकीय जमीन का लेखा जोखा किसके पास है ।
नगर निगम का आयुक्त और निगम के चल-अचल संपत्ति का लेखा जोखा रखने वाला विभाग अनियमितताओं और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार शैली का आदि हो गया है जिसके कारण निगम के चल-अचल संपत्ति की वास्तविक स्थिति की जानकारी आम लोगों के साथ-साथ वार्ड के मतदाताओं तक नहीं पहुंच रही है परिणाम स्वरूप निगम की बेशकीमती जमीन को कुटनीतिक तरीके से निगम अधिकारीयों से अवैधानिक तालमेल बनाकर दलाल भोले-भाले लोगों को बेचकर नगर निगम के साथ-साथ सामान्य नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार को अपूर्णीय आर्थिक क्षति पहुंचा रहे है इसलिए समाज सेविका निशा देशमुख ने नगर निगम के चल-अचल संपत्ति का प्रामाणिक ब्यौरा मांगने की नागरिक जिम्मेदारी पूरी करने का कार्य प्रारंभ कर दिया है ।
प्रत्तेक वार्ड में शासकीय जमीन कितनी है ?
नगर निगम के प्रत्येक वार्ड में शासकीय भूमि होती है जिसे नगर निगम कालोनाइजर से विधिवत अधिग्रहण करके हासिल करती है इसके साथ-साथ शासन की नजूल भूमि के रूप में भी शासकीय जमींन निगम में वेष्टित होती है | निगम में वेष्टित जमींन का प्रयोग सार्वजनिक रूप से करने का अधिकार प्रत्येक वार्ड वासी का होता है लेकिन विडंबना यह है की निगम का आयुक्त और संपदा विभाग वर्तमान में इस बात की जानकारी को जन सामान्य तक नहीं पहुंचा रहे हैं की उनके वार्ड की शासकीय जमीन कितनी है और कहां है जिसके कारण वार्ड वासियों के नागरिक अधिकारों पर प्रत्यक्ष अतिक्रमण हो रहा है इसलिए ऐसी विपरित परिस्थिति से सीधे निपटने के लिए समाज सेविका निशा देशमुख जनहित के संरक्षण की सीधी लड़ाई लड़ने की कार्य योजना पर कार्य करती नजर आ रही है ।
अरे भाई ! सार्वजनिक प्रयोजन को भूमि कहां गई ?
नगर निगम कार्यक्षेत्र के वार्डों की सार्वजनिक प्रयोजन की भूमि कहां गई इस अनुत्तरिक प्रश्न पर खामोश निगम प्रशासन अपनी प्रतिक्रिया विहीन व्यवहार शैली से इस बात का संकेत दे रहा है कि, सार्वजनिक प्रयोजन की भूमि का मामला चिंताजनक है और कई गड़बड़ियों को निगम की फाइलों में दफ़न करके बैठा है । गौरतलब रहे की वर्तमान स्थिति में निगम की वेबसाइट और सार्वजनिक सूचना पटल पर निगम क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड की सीमाओं में शासकीय और सार्वजनिक प्रयोजन की भूमि कितनी है इस बात की प्रामाणिक जानकारी देने वाला तंत्र अपना पदेन कर्तव्य नहीं कर रहा है जिसके कारण समाज सेविका निशा देशमुख ने उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में अभ्यास कर रहे विधि विशेषज्ञों से सलाह लेकर सार्वजनिक प्रयोजन की जमीनों का प्रमाणिक ब्यौरा लेने की कार्यवाही प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है |
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आप भी मांगिये… आपके वार्ड के निगम संपत्ति का ब्यौरा…
क्योंकि आपके वार्ड के सार्वजनिक प्रयोजन की भूमि पर आपका भी नागरिक अधिकार है
अमोल मालुसरे - समाजसेवक और राजनैतिक विश्लेषक