पार्षदों को राज्य शासन द्वारा प्रदत अधिकारों का प्रयोग करने का अधिकार प्रदान करने वाले नियम कानून छत्तीसगढ़ राज्य में स्पष्ट है जिसके आधार पर पार्षद अपने अधिनियमित अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं उल्लेखनीय है कि, नगर पालिक अधिनियम के अंतर्गत आयोजित सम्मिलानो में पार्षदों की भूमिका और पार्षदों के अधिकारों को छत्तीसगढ़ के राज्य शासन ने कानून बनाकर स्पष्ट कर दिया है | जिससे अब यह स्पष्ट हो गया है कि, निगम कार्यवाहियों में अब पार्षदों का वर्चस्व बना रहेगा |
प्रश्न पूछ सकते हैं “पार्षद”
पार्षद अब अपने अधिकारो का प्रयोग सांसद और विधायको की तरह निगम सम्मिलानो में प्रश्न पूछकर करेंगे | आयुक्त अपने अधिनस्त अधिकारियो को बाध्य करेगा की वे पार्षदों के द्वारा पूछे गए प्रश्नों से संबंधित दस्तावेजो का अवलोकन निगम सम्मिलन से दो दिवस पूर्व पार्षद को करवाएं
पार्षदों के प्रश्नों के उत्तर देना आवश्यक
आयुक्त अपना पदेन कर्तव्यो का अनुपालन सुनिश्चित करेगा की निगम सम्मिलन के उपरांत पार्षदों के द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर उन्हें लिखित में मिले | निगम सम्मिलानो को विधानसभा की तर्ज पर आयोजित करने के लिए राज्य शासन ने नियम बनाया है उल्लेखनीय है की यह नियम निगम सम्मिलन के सभी विषयों को स्पष्ट करते हुए उनके व्यवहारिक पहलुओं पर प्रकाश डालता है |
जनता की समस्याओ पर प्रश्न पूछेगा पार्षद
पार्षदों को यह अधिकार प्रदान कर दिया है गया है कि, वे आम जनता की समस्याओ को निगम सम्मिलानो में उठाकर जिम्मेदार अधिकरियो से जवाब-तलब कर सके लेकिन गौर तलब रहे कि, राज्य शासन की यह पहल तभी सफल होगी जब सभी वार्डों के पार्षदगण अपने अधिकारों का प्रयोग करेंगे और जनसामान्य की समस्यायों का निराकरण करने के लिए जिम्मेदार अधिकारीयों को निगम सम्मिलन के माध्यम से प्रश्नांकित करेंगे |
पार्षदों को डरना आसान नहीं रहा
अब पार्षदों को कोई-भी न तो डरा सकेगा, न ही धमका सकेगा और ना ही बेवकूफ बना सकेगा क्योकि पार्षद के द्वारा जो प्रश्न पूछा जायेगा उसका जवाब जिम्मेदार अधिकारीयों को लिखित में सक्षम प्राधिकारी के माध्यम से देना पड़ेगा | परिणाम स्वरूप पार्षद जन समस्याओ को प्रश्नांकित कर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जिम्मेदार अधिकारीयों को निगम सम्मिलन के माध्यम से जवाबदेही तय करवाने की कार्यवाही अपने स्तर से करवा सकेगा |
पार्षदों को मिला असीमित अधिकार
अब पार्षद प्रश्न भी पूछ सकेंगे, प्रश्न से सम्बंधित दस्तावेजो और फ़ाइल का अवलोकन भी कर सकेंगे और अधिकारियो और निगम सम्मिलन के दिन सत्ताधारियों से लिखित में जवाब भी प्राप्त कर सकेंगे | अब भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी और निर्वाचित जन प्रतिनिधि तीनो से पार्षद सीधे प्रश्न पूछकर जवाब मांग सकेगा तथा विधायक और सांसद की तरह शहर सरकार का सशक्त अंग होने की अपनी पहचान बना सकेंगे पार्षद को शक्ति संपन्न बनाने वाले नये नियम निम्नानुसार हैं :-
1 ) छ.ग. नगर पालिक निगम अधिनियम १९५६ की धारा २५-क पार्षदों के कर्तव्य का स्पष्ट उल्लेख करते हुए कहा गया है कि, अधिनियम के उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए प्रत्येक पार्षद के निम्नलिखित कर्तव्य होंगे :-
(एक ) निगम के सम्मिलन में उपस्थित होना तथा उसमे भाग लेना तथा आवश्यकता होने पर मत देना |
(दो) महापौर या आयुक्त का ध्यान निगम की संपत्ति की किसी हानी या निगम के किसी योजना या सेवा में किसी कमी या निगम द्वारा निष्पादित किए जा रहे किसी कार्य की ओर आकर्षित करना |
2 ) छ,ग. नगरपालिक (कामकाज के संचालन की प्रक्रिया ) नियम २०१६ के नियम ३ में कार्यसूची के संबंध में स्पष्ट विधि निर्देश है कि, नगरपालिका के सम्मिलन के लिए सुचना में सम्मिलित की जाने वाली कार्यसूची निम्नानुसार होगी :-
क) पूर्ववर्ती सम्मिलन के कार्यवृत्त की पुष्टि करना, यदि उसकी पुष्टि उस सम्मिलन में न हुई हो;
ख) पार्षदों द्वारा पूछे गये प्रश्न तथा उनके उत्तर;
ग) महत्त्वपूर्ण पत्र व्यवहार के संबंध में जानकारी ;
घ) कार्यसूची के शेष कामकाज जो पूर्ववर्ती सम्मिलन में संपादित न किये जा सके हों;
ङ) समितियों या मुख्य कार्यपालन अधिअकरी द्वारा प्रस्तुत सुझाव तथा प्रस्ताव;
च) पार्षदों द्वारा लोक महत्त्व के विषयों पर व्यक्तव्य देने के लिए प्रस्तुत प्रस्ताव : परन्तु यह कि किसी विशेष सम्मिलन में सुचना में विनिर्दिष्ट कमाक्ज के सिवाय कोई अन्य कामकाज संपादित नहीं किया जाएगा: परन्तु यह और कि लोक महत्त्व के विषयों पर व्यक्तव्य देने के लिए प्रस्तुत प्रस्ताव केवल साधारण सम्मिलन में ही रखा जायेगा|
3 ) छ,ग. नगरपालिक (कामकाज के संचालन की प्रक्रिया ) नियम २०१६ के नियम ६ में कार्यसूची के मदों से संबंधित दस्तावेज का निरिक्षण किये जाने का पार्षदों का अधिकार को स्पष्ट करते हुए विधि निर्देशित किया गया है कि, :-
मुख्य कार्यपालन अधिअकरी द्वारा कार्यसूची में सम्मिलित विषयों से संबंधित समस्त दस्तावेजों को साधारण सम्मिलन से दो कार्य दिवस तथा विशेष सम्मिलन से पुरे एक दिवस पूर्व पार्षद के निरिक्षण के लिए तैयार रखे जायेंगे और कोई भी पार्षद, मुख्य कार्यपालन अधिअकरी द्वारा नियुक्त अधिकारी के समक्ष उनका निरिक्षण कार्यालयीन समय के दौरान कर सकेंगे |
4 ) छ,ग. नगरपालिक (कामकाज के संचालन की प्रक्रिया ) नियम २०१६ के नियम नियम १०. कार्यवृत्त का निरिक्षण एवं पुष्टि के संबंध विधि निर्देशित किया गया है कि, :-
कार्यवृत्त, जिसकी पुष्टि नहीं हुई हो, कार्यालयीन समय के दौरान निरिक्षण हेतु उपलब्ध रहेगा यदि किसी भी पार्षद को उसके किसी भाग पर आपत्ति हो, तो वह पीठासीन अधिकारी द्वारा सम्मिलन में रखा जायेगा, अन्यथा यह समझा जायेगा कि उसको पढ़ लिया गया है, और पीठासीन अधिकारी उस पर पुष्टिकरण के प्रमाण स्वरूप अपने हस्ताक्षर करेगा| पीठासीन अधिकारी को हस्ताक्षर करने के पूर्व लिपिकीय त्रुटियों को संशोधित करने की शक्ति होगी |
5 ) छ,ग. नगरपालिक (कामकाज के संचालन की प्रक्रिया ) नियम २०१६ के नियम १७ से पार्षदों द्वारा जानकारी प्राप्त करने के अधिकार को स्पष्ट करने वाला विधि निर्देश दिया गया है और कहा गया है कि, :- -
१) कोई पार्षद, अधिनियम के अधीन नगरपालिका के कृत्यों और दायित्वों के संबंध में या किसी समिति के कृत्यों के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए पीठासीन अधिकारी को संबोधित कर प्रश्न पूछ सकेगा |
२) प्रश्न पूछने वाला पार्षद कम से कम दस दिन पूर्व अपने सम्यक हस्ताक्षर करके अथवा अंगूठे का निशान लगाकर तिन प्रतियों में प्रश्न सचिव को प्रस्तुत करेगा जिसे वह मुख्य कार्यपालन अधिकारी को अग्रिम कार्यवाही के लिए भेजेगा|
३) इस नियम के उप- नियम (५) के अध्यधीन रहते हुए, प्रत्येक पार्षद उसके द्वारा पूछे गये प्रश्न का उत्तर नगरपालिका के सम्मिलन अथवा उसके पश्चातवर्ती सम्मिलन में मौखिक रूप में प्राप्त करने का हकदार होगा: परन्तु यह कि यदि महापौर/ अध्यक्ष की राय में ऐसे किसी प्रश्न का मौखिक उत्तर देणे के स्थान पर लिखित उत्तर दिया जाना अधिक उपयुक्त हो तो, ऐसे प्रश्न का उत्तर लिखित में दिया जायेगा|
४) प्रत्येक प्रश्न का उत्तर महापौर/ अध्यक्ष के दवारा अथवा उसके द्वारा प्राधिकृत मेयर - इन- काउन्सिल / प्रेसिडेंट - इन- काउन्सिल के किसी सदस्य द्वारा दिया जायेगा: परन्तु यह कि पीठासीन अधिकारी की अनुमति से मुख्य कार्यपालन अधिकारी , महापौर/ अध्यक्ष अथवा किसी सदस्य की ओर से प्रश्न का उत्तर दे सकेगा| ५) कोई भी प्रश्न अग्राह्य किया जायेगा, यदि वह :-
५) (क) नगरपालिका के कार्यों से प्रत्यक्षत: संबंध नहीं रखता है;
५) (ख) नगरपालिका अथवा उसकी किसी समिति की शक्तियों से संबंधित नहीं है;
५) (ग) किसी विधि के न्यायलय के समक्ष लंबित मामले से संबंधित है;
५) (घ) किसी पार्षद अथवा नगरपालिका के किसी अधिकारी या सेवक के उसके पदीय या सार्वजनिक हैसियत के सिवाय, उसके चरित्र या आचरण से संबंधित है;
५) (ङ ) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानहानिकारक या आक्षेपणीय है अथवा किसी व्यक्ति अथवा किसी समाज के वर्ग के विरुद्ध आरोप लगता है अथवा व्यंग्यात्मक है अथवा तुच्छ स्वरूप का है;
५) (च) महापौर/ अध्यक्ष या नगरपालिका के अधिकारी या सेवक को विश्वास में दी गई जानकारी की संसूचना में अन्तर्वलित है;
५) (छ) अत्यधिक लम्बा है या उसका पूर्व में उत्तर दिया जा चुका है;
५) (ज) महापौर/ अध्यक्ष या नगरपालिका के अधिकारी अथवा सेवक को दी गई किसी गोपनीय जानकारी के प्रकटीकरण से संबंधित है;
५) (झ) पार्षद या नगरपालिका के किसी पार्षद, अधिकारी अथवा सेवक के संबंध में वैयक्तिक स्वरूप का है या शिकायत से संबंधित है;
परन्तु यह और कि किसी प्रश्न को ग्राह्य या अग्राह्य करने के संबंध में महापौर/ अध्यक्ष का निर्वाचन अंतिम होगा |
पार्षद एकजुट होकर आयुक्त को भी हटवा सकते है कैसे ? नियम जानियें
नगर पालिक अधिनियम की धारा ५४ में आयुक्त कि नियुक्ति तथा उसका हटाया जाने के निम्नानुसार प्रावधान है : --
१) निगम के लिए आयुक्त कि नियुक्ति ऐसे नवीनीकरण योग्य काल के लिए जो ५ वर्ष से अधिक न हो, शासन द्वारा की जाएगी |
२) वह अपने पद से तुरंत हटा दिया जाएगा, यदि इस संबंध में लाए गए प्रस्ताव के पक्ष में निगम के किसी सम्मिलन में १[निर्वाचित पार्षदों ] की कुल संख्या के इतने सदस्यों द्वारा मत दिया जाए, जो तीन - चौथाई से कम न हो, और वह शासन द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकेगा, यदि शासन को यह प्रतीत हो की वह अपने पद के कर्तव्यों का संपादन करने में असमर्थ है या वह किसी ऐसे दुराचरण या प्रमाद का दोषी रहा है, जिससे उसका हटाया जाना उचित ठहरता हो:
उपरोक्तानुसार विषय पार्षदों की पाठशाला के महत्वपूर्ण विषय है जिसकी जानकारी आम मतदाताओं को होनी चाहिए जिसके आधार पर आम मतदाता और नागरिक अपने पार्षद की पदेन भूमिका और कार्य व्यवहार का आकलन कर सकते है और इस बात की समीक्षा कर सकते हैं की उनका पार्षद अपने वार्ड की जनता के प्रति कितना जिम्मेदार है ?