भारत देश को निर्वाचन अपराध के खतरों से बचाने के लिए हमें सतर्क रहना चाहिए… क्योंकि झूठा शपथपत्र देकर निर्वाचन नामावली में फर्जी तरीके से अपना नाम दर्ज करवाकर… सत्ता हथियाने का ज्वलंत उदाहरण सन 2000 से छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में निरंकुश होकर फल-फूल रहा है… जिसको छत्तीसगढ़ के कोरबा लोकसभा चुनाओं में विधिक चुनौती दी गई है पढ़िए इस मामले के विधिक पहलू ...
निर्वाचन अपराध एक गंभीर अपराध है जिसके दूरगामी दुषपरिणाम हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपूर्णीय क्षति पहुंचाने वाला हैं इसलिए इसे रोकने की पहल नागरिक स्तर से किया जाना विधि अपेक्षित नागरिक कर्तव्य है जिसका निर्वहन कोरबा लोकसभा चुनाव की अभ्यर्थी सरोज पांडेय को उसके निर्वाचन अपराध के मामलों में विधिक चुनौती शिकायतकर्ता श्रीनिवास खेडिया, विंसेंट डिसूजा और अमोल मालुसरे द्वारा दी गई है और निर्वाचन अपराध पर विधिक अंकुश लगाने की कार्यवाही प्रक्रिया को प्रारंभ किया गया है…
सत्ता हथियाने की कहानी
भिलाई के रिसाली क्षेत्र की रहने वाली उच्च शिक्षित महिला ने यह जानते समझते हुए की वह निर्वाचन अपराध कर रही है..! उसने अनियमित कार्य व्यवहार कर दुर्ग शहर की सत्ता हथियाने के लिए स्थानीय निर्वाचन कार्यालय के सक्षम आधिकारिक के समक्ष झूठा शपथपत्र दिया और… फर्जी तरीके से निर्वाचन नामावली में अपना नाम जुड़वाया तथा अनियमित और विधिक चुनौती दिए जाने वाले कार्यव्यवहार करके निर्वाचन अहर्ता विहीन महापौर बन गई ।
मैडम सरोज पांडेय ने कौन सा निर्वाचन अपराध किया है ?
छत्तीसगढ़ के जिला दुर्ग के मुख्यालय की शहर सरकार, “नगर निगम दुर्ग” है । इस दुर्ग निगम की महापौर बनाने के लिए सरोज पांडेय ने सन 2000 में अपना नाम दुर्ग निगम क्षेत्र के सीमाओं में झूठा शपथपत्र देकर जुड़वाया था और गलत तरीके से निर्वाचन अर्हता प्राप्त करने के लिए मतदाता सूची में अपना नाम नामांकित करवाया था । जिसके आधार पर सरोज पांडेय ने स्वयं को फर्जी तरीके से दुर्ग नगरीय निकाय की मतदाता सूची में नामांकित करवाकर कर दुर्ग निगम का महापौर चुनाव जीत गई थी । गौरतलब रहे कि सरोज पांडेय का परिवार भिलाई के रिसाली क्षेत्र में रहता है दुर्ग शहर में सरोज पांडेय का नाम निर्वाचन नामावली में जुड़वाने का कोई तर्क संगत आधार नहीं है और इस मामले में सरोज पाण्डेय प्रतिक्रिया देने से बचती फिरती है ।
निर्वाचन अपराध के साक्ष्य कहां हैं ? किसके पास है ?
क्योंकि मैडम सरोज पांडेय ने अपना नाम भिलाई की निर्वाचन नामावली में होते हुए अनियमित तरीके से दुर्ग शहर के नगर निगम निर्वाचन नामावली में झूठा शपथपत्र देकर जुड़वाया था इसलिए तत्कालीन प्रतिद्वंदियों अर्थात महापौर प्रत्याशियों ने चुनाव याचिका से सरोज पांडेय को न्यायालयीन चुनौती दे दी । इसके बाद से सरोज पांडेय के मतदाता होने के सारे प्रमाण न्यायलयीन करवाई में नस्तिबद्ध हो गए हैं । गौरतलब रहे की मैडम सरोज पांडेय अपने निर्वाचन अपराध के साक्ष्य खत्म करवाने में आजतक विफल रही है ।
फर्जी तरीके से महापौर बन गई लेकिन दस्तावेजीक साक्ष्य आज भी फाइलों में बंद है
गौरतलब रहे की तत्कालीन परिस्थितियों में सरोज पांडे ने जैसे तैसे अपना महापौर निर्वाचन बचाया था और… कपटपूर्ण कार्य व्यवहार कर दुर्ग महापौर बन गई थी जिसके बाद उसने अपना महापौर पद बचाने के लिए झूठे शपथपत्र का आधार लेकर निर्वाचन अपराध छिपाने हेतु वह दुर्ग शहर की निवासिनी, फर्जी तरीके से बन गई तथा उसने महापौर पद की शक्तियों का दुरुपयोग कर अपना नाम एक शासकीय गोदाम के पते से जुड़वा लिया और सन 2000 से अब तक अपनी निर्वाचन अहर्ता बचाने के लिए कई बार झूठ बोल चुकी है और झूठा शपथ पत्र भी दे चुकी है
मजबूरी क्या है ?
गौरतलब रहे कि, सरोज पांडेय के निर्वाचन अपराध से संबंधित सभी दस्तावेज न्यायालयीन कार्रवाई में नस्तीबद्ध होने के कारण सरोज पांडेय अपने निर्वाचन अपराध के साक्ष्य नष्ट करवाने में सफल नहीं हो पाई है । सरोज पांडेय के पास अपने निर्वाचन अपराध को छिपाने का एक मात्र विकल्प यह है कि वह अपना नाम दुर्ग शहर के जल परिसर गोदाम के पते से जुड़वाए रखे और अपने निर्वाचन अपराध पर पर्दा डाले रखे । इसलिए उसने मजबूरी में अपना नाम दुर्ग शहर में गलत तरीके जुड़वा रखा है । उल्लेखनीय है कि सरोज पांडेय के झूठे शपथ पत्र मामले को लगातार न्यायालय में चुनौती दी गई और प्रश्नानकीत किया गया है जिसका विवरण यह है👇👇👇
पढ़िए निर्वाचन अपराध का सिलसिलेवार ब्यौरा;