छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनिकी विश्वविध्यालय भिलाई (सीएसवीटीयू) भिलाई के आंतरिक शिकायत समिति की कार्यवाहियों को प्रश्नांकित करने से पूर्व सभी जिम्मेदार पक्षकारों से विधि अपेक्षित कार्यवाही कर प्रतिक्रिया लेने के लिए सूचना नोटिस प्रेषित की गई है :
सीएसवीटीयू के आंतरिक शिकायत समिती (आईसीसी) के समक्ष विचाराधीन और लंबित शिकायत प्रकरण की प्रथम दृष्टांत प्रतीत होने वाली विसंगतिपूर्ण कार्यवाहियों को प्रश्नांकित करने के पूर्व, “वस्तुस्थिति से अवगत होने के लिए” सूचना नोटिस सामाजिक कार्यकर्ता निशा देशमुख द्वारा सभी संबंधितो को प्रेषित की गई है ।
उल्लेखनीय है कि, इस नोटिस का विषयवस्तु और उद्देश्य अग्रलिखित है
पहला :
आईसीसी सीएसवीटीयू भिलाई के द्वारा संदर्भित बिंदु 3 में उल्लेखित न्यायालयीन परिवाद विषयक संस्थापित लैंगिक उत्पीडन के शिकायत प्रकरण कार्यवाही की वस्तुस्थिती जानने के लिए माननीय संज्ञानकर्ता प्राधिकारी (श्रीमान कुलपति), नियोक्ता एवं जिम्मेदार प्राधिकारी (श्रीमान कुलसचिव), सीएसवीटीयू भिलाई में नियोजित महिलाओं के अधिकार सुनिश्चित करने वाली सक्षम प्राधिकारी (आतंरिक शिकायत समिति) एवं प्रत्यर्थी तथा व्यथित शिकायतकर्ता इन पांचो प्रतिक्रियाकर्तागण से विधि अपेक्षित कार्यवाही प्रक्रिया में प्रतिक्रिया लेकर वस्तुस्थिति से अवगत होने के लिए तथा
दूसरा :
सीएसवीटीयू भिलाई के कार्यक्षेत्र में आने वाले संबद्धता प्राप्त महाविद्यालय और सीएसवीटीयू मुख्यालय परिसर में नियुक्त कामकाजी महिलाओं और उच्च शिक्षण प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों तथा आगंतुकों को गरिमापूर्ण कामकाजी वातावरण दिलवाने की सुनिश्चिता विधि निर्देशानुसार बाध्यकारी बनाने के लिए नोटिस सूचना प्रेषित की गई है ।
उच्च शिक्षण संस्थानों को लैंगिक उत्पीड़न मुक्त करवाने के लिए सुझाव
नोटिस विषय पर जानकारी देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता निशा देशमुख ने बताया की उच्च शिक्षण संस्थानों को लैंगिक उत्पीड़न मुक्त वातावरण बनाने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाकर छात्रों और अभिभावकों के स्तर से कई कदम उठाए जा सकते हैं। ये कदम न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए भी सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करेंगे।
जागरूकता अभियान
लैंगिक समानता पर शिक्षा: छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को लैंगिक समानता, सहमति, और लैंगिक उत्पीड़न के प्रकारों के बारे में नियमित रूप से शिक्षित किया जाना चाहिए।
वर्कशॉप और सेमिनार: विशेषज्ञों द्वारा आयोजित कार्यशालाओं और सेमिनारों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाई जा सकती है।
संवाद: खुले संवाद को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि लोग अपनी चिंताओं को बिना किसी डर के व्यक्त कर सकें।
नीतियां और कानून
स्पष्ट नीतियां: लैंगिक उत्पीड़न के खिलाफ स्पष्ट और सख्त नीतियां बनाई जानी चाहिए।
शिकायत प्रक्रिया: शिकायत दर्ज करने और जांच करने के लिए एक आसान और पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए।
सजा: दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
सुरक्षा उपाय
सुरक्षा गार्ड: कैंपस में पर्याप्त संख्या में पंजीकृत सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाने चाहिए।
सीसीटीवी कैमरे: कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए।
आपातकालीन नंबर: एक आसानी से याद रखने वाला आपातकालीन नंबर होना चाहिए।
सहायता और परामर्श
काउंसलिंग सेल: छात्रों और कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य और परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
सहायता समूह: पीड़ितों के लिए सहायता समूह बनाए जा सकते हैं।
संस्थानों का योगदान
सेंसरशिप: संस्थानों को छात्रावासों, कक्षाओं और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर यौन सामग्री और भेदभावपूर्ण सामग्री पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
संवेदनशीलता प्रशिक्षण: शिक्षकों और कर्मचारियों को संवेदनशीलता प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
सहयोग: पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
समुदाय का योगदान
माता-पिता की भागीदारी: माता-पिता को बच्चों को लैंगिक शिक्षा देने और संस्थानों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
मीडिया का योगदान: मीडिया को लैंगिक उत्पीड़न के मुद्दों पर सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता निशा देशमुख ने बताया की उपरोक्त उल्लेखित सभी विषयों के लिए वे कार्य कर रही है और जिन शिक्षण संस्थानों में लैंगिक उत्पीड़न मुक्त वातावरण स्थापित होने में बाधा उत्पन्न हो रहीं है उन शैक्षणिक संस्थानों के शीर्ष और जिम्मेदार प्राधिकारियों को नोटिस प्रेषित कर विधि निर्देशों की सुनिश्चितता स्थापित करने का वे सामाजिक योगदान दे रहे है