कोरबा जिले से लोकसभा चुनाव लड़ने वाली मैडम सरोज पांडेय मूलतः (उत्तरप्रदेश-बिहार) तरफ की मूल निवासिनी बताई जाती है और वर्तमान में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की रहवासी होने का दावा अपने निर्वाचन शपथपत्र के आधार पर करती है…
वैसे तो मैडम ने अपने नाम दुर्ग शहर की निर्वाचन नामावली में कैसे जुड़वा हैं यह विषय विवाद का बना हुआ है लेकिन… वर्तमान में एक और आपत्ति मैडम के विरुद्ध इसलिए कि गई है क्यों कि, मैडम ने अपने राजनैतिक पद का दुरुपयोग कर तथाकथित तौर पर दुर्ग जिले के अपने निवास पर शासकीय कर्मचारियों को कार्य करने के लिए मजबूर किया… जिसकी शिकायत कार्यवाही का सामना मैडम सरोज पांडेय कर रहीं है पढ़िए पूरी जानकारी…
छत्तीसगढ़ का जिला कोरबा भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का चुनावी अखाड़ा बना हुआ है इसलिए कुछ ऐसे तथ्य सामने आ रहे है जो मतदाताओं को जनाना और समझना लोकतांत्रिक हिट के लिए आवश्यक है ….
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संसदीय निर्वाचन क्षेत्र कोरबा से अभ्यर्थी मैडम सरोज पाण्डेय ने अपनी राजनैतिक पहुंच का आधार लेकर तृतीय वर्ग कर्मचारी स्तर के पद पर पदस्थ शासकीय कर्मचारियों को अपने निजी कामकाज और कार्यों के लिए दबाव पूर्वक नियोजित किए जाने की जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता विंसेंट डिसूजा जी को मिली… तो उन्होंने शीर्ष निर्वाचन कार्यालय के निर्णायक पदों पर पदस्थ प्राधिकारियों के जानकारी में वस्तुस्थिति लाई… तथा शासकीय कर्मचारियों की व्यथनीय स्थिति को उनके संज्ञान में लाया… जिसके बाद दुर्ग जिला निर्वाचन अधिकारी को तलब कर शीर्ष निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने कार्यवाही करते हुए यह पत्र जारी किया है
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लोक तांत्रिक व्यवस्था को बचाने के लिए जन जागरूकता लाइए;
जनप्रतिनिधियों और शासकीय अधिकारियों द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से निजी कार्य कराना:
यह एक जटिल प्रशासकीय अनियमित कार्य व्यवहार का मुद्दा है जिसमें नैतिकता, कानून और कार्यस्थल के नियमों का उल्लंघन शामिल स्वमेव शामिल हो जाता है। इसलिए इस प्रशासकीय अपराध को अग्रलिखित विधिक पहलुओं से देखा जाना चाहिए जैसे :
नकारात्मक पहलू:
शोषण:
अधीनस्थ कर्मचारियों का अनुचित लाभ उठाना, उनकी सहमति के बिना काम कराना।
दुरुपयोग:
पदेन शक्ति का दुरुपयोग, पद का प्रभाव इस्तेमाल कर निजी काम कराना।
अकार्यक्षमता:
सरकारी कार्य प्रभावित होते हैं, समय और संसाधनों का दुरुपयोग होता है।
कार्यस्थल का माहौल खराब होता है:
कर्मचारियों में मनोबल कम होता है, डर और दबाव का माहौल बनता है।
कानूनी परिणामदायक पहलू:
श्रम कानूनों का उल्लंघन:
वेतन, काम के घंटे, सुरक्षा आदि से संबंधित कानूनों का उल्लंघन।
भ्रष्टाचार:
पद का दुरुपयोग कर निजी लाभ प्राप्त करना।
दंडात्मक कार्रवाई:
सरकारी अधिकारियों के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई, कानूनी जुर्माना या कारावास भी हो सकता है।
सकारात्मक कदम वाले पहलू:
स्पष्ट नीतियां:
सरकारी विभागों में स्पष्ट नीतियां होनी चाहिए जो निजी कार्यों के लिए सरकारी संसाधनों के उपयोग को प्रतिबंधित करती हैं।
जागरूकता:
कर्मचारियों को अपने अधिकारों और शोषण की रिपोर्ट करने के तरीकों के बारे में जागरूक होना चाहिए।
निष्पक्ष जांच:
शिकायतों की निष्पक्ष और त्वरित जांच होनी चाहिए।
कठोर दंड:
दंडात्मक उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर दंड होना चाहिए।
कार्यवाही करने के लिए सक्षम प्राधिकृत संसाधन जान लीजिए:
सतर्कता आयोग (CVC)
पुनरीक्षण आवश्यक है;
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी परिस्थितियां समान नहीं होती हैं। कुछ मामलों में, अधीनस्थ कर्मचारी स्वेच्छा से निजी सहायता प्रदान करने के लिए सहमत हो सकते हैं। हालांकि, यह हमेशा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि, सहमति स्वतंत्र और बिना किसी दबाव या डर के होनी चाहिए और यदि कोई शासकीय कर्मचारी किसी नेता का काम स्वेच्छा से कर रहा हो तो भी उसे अपने नियोक्ता कार्यालय से पूर्व अनुमति लेकर अपना राजनैतिक योगदान देने की विधि बाध्यता है इस बात का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि शासकीय सेवक चाहे किसी भी पदेन स्तर का हो… उसे राजनैतिक गतिविधियों में और जन प्रतिनिधियों का स्वैच्छिक सेवा सत्कार करने के लिए अपने नियोक्ता शासकीय कार्यालय की सहमति लेना आवश्यक है क्योंकि इसके आभाव में दीर्घ शास्ति की कार्यवाही का सामना शासकीय सेवक को करना पड़ता है ।
यदि आप शोषण का सामना कर रहे हैं, तो मदद के लिए तुरंत उचित अधिकारियों से संपर्क करें।
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नोट : इस लेख पर प्रतिक्रिया अभिप्राप्त करने का इच्छुक लेखक : आपका... अमोल मालुसरे 🙏 नोट :- इस लेख के विषयवस्तु पर किसी को दाव-आपत्ति💥 हो तो उनका अमोल मालुसरे सहर्ष स्वागत करता है सक्षम न्यायालय में याचिका दायर कर अमोल मालुसरे को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर अवश्य दें । 🙏 malusare9@gmail.com
निवेदन: लोकतंत्र बचाना है तो अनियमित प्रशासकीय कार्याचरण के प्रति आपका रवैया 🙊🙉🙈 ऐसा नहीं होना चाहिए अनियमितता के विरुद्ध बोलिए, व्यथित को सुनिए, अनियमितता को अनदेखा मत करिए ।
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